Table of contents |
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खण्ड 'क' (अपठित बोध) |
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खण्ड 'ख' (रचनात्मक लेखन) |
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खण्ड 'ग' (व्याकरण अनुभाग) |
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खण्ड 'घ' (पठित बोध) |
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उत्तर 1:
(i) (ग) विद्यार्थी जीवन
(ii) (क) इस अवस्था में छात्र को जैसा चाहे वैसा बनाया जा सकता है
(iii) (घ) उपर्युक्त सभी
(iv) (घ) उपर्युक्त सभी
(v) (ख) प्रभाव स्थायी हो जाता है
उत्तर 2:
(i) (ग) कदंब का
(ii) (क) बाँसुरी
(iii) (घ) दो पैसे की
(iv) (ख) अम्मा-अम्मा
(v) (घ) कन्हैया
उत्तर 3: वार्षिक परीक्षा का परिणाम बताते हुए पिताजी को एक पत्र
प्रिय पिताजी,
सादर प्रणाम!
आशा है कि आप स्वस्थ और खुशहाल होंगे। मैं आपको यह पत्र अपनी वार्षिक परीक्षा के परिणाम के बारे में जानकारी देने के लिए लिख रहा हूँ। इस बार की परीक्षा में मैंने काफी मेहनत की थी, और मुझे खुशी है कि मेरे प्रयास सफल हुए।
मेरे सभी विषयों में अच्छे अंक आए हैं। गणित और विज्ञान में मैंने 90% से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। हिंदी और अंग्रेजी में भी मुझे अच्छे अंक मिले हैं, और इतिहास में मुझे 85% अंक मिले हैं। कुल मिलाकर मेरा परिणाम बहुत अच्छा रहा है और मुझे यकीन है कि आप भी इसे देखकर खुश होंगे।
आपकी आशीर्वाद और मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था। मैं वादा करता हूँ कि भविष्य में भी अपनी पढ़ाई में इसी तरह मेहनत करूंगा। मुझे आपके आने का इंतजार है, ताकि मैं आपको अपना परिणाम दिखा सकूं।
आपका बेटा
[अपना नाम]
अथवा
प्रधानाचार्य जी को दो दिन के अवकाश हेतु पत्र
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
[विद्यालय का नाम],
[विद्यालय का पता]
विषय: दो दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र
महोदय,
नम्र निवेदन है कि मैं [अपना नाम], कक्षा [अपनी कक्षा] का छात्र/छात्रा, आपके विद्यालय में पढ़ाई कर रहा/रही हूँ। मुझे [तारीख] से [तारीख] तक दो दिन का अवकाश चाहिए, क्योंकि मेरे परिवार में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें मेरी उपस्थिति आवश्यक है।
अतः आपसे निवेदन है कि कृपया मुझे उक्त तिथियों में अवकाश देने की कृपा करें। मैं आश्वासन देता/देती हूँ कि अवकाश के बाद मैं अपनी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करूंगा/कर्म।
आपकी कृपा के लिए मैं सदैव आभारी रहूँगा/रहूँगी।
धन्यवाद।
आपका आभारी
[अपना नाम]
[कक्षा]
[अनुक्रमांक]
उत्तर 4:
(क) किसी रोमांचक यात्रा का वर्णन
मेरी सबसे रोमांचक यात्रा वह थी जब मैं और मेरे परिवार ने हिमाचल प्रदेश की यात्रा की। यह यात्रा मेरे जीवन की अविस्मरणीय यात्राओं में से एक थी। हम सबने पहले शिमला जाने का विचार किया था, क्योंकि वहां का मौसम बहुत सुहाना और ठंडा था।
हमने शिमला के खूबसूरत दृश्यों का आनंद लिया। पहाड़ी इलाकों में घूमते हुए हम कई छोटे-छोटे गाँवों में गए, जहां का जीवन बिलकुल अलग था। वहाँ के लोग बहुत सरल और मेहनती थे। सबसे रोमांचक अनुभव हमें एक ट्रैकिंग यात्रा के दौरान हुआ, जब हम एक पहाड़ की चोटी पर चढ़े थे। ऊँचाई से नीचे देखते हुए यह दृश्य बहुत ही रोमांचक और मनमोहक था।
इस यात्रा ने मुझे यह सिखाया कि रोमांच और प्रकृति का सही अनुभव हमें उन स्थानों पर जाकर मिलता है, जहां हम अपने दैनिक जीवन से हटकर होते हैं। यह यात्रा मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय और रोमांचक अनुभव बन गई, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।
(ख) पुस्तकों का महत्व
पुस्तकें हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। वे न केवल ज्ञान का स्रोत होती हैं, बल्कि मानसिक विकास और सोचने की क्षमता को भी बढ़ाती हैं। पुस्तकों के माध्यम से हम न केवल किसी विषय के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों, विचारों और दृष्टिकोणों से भी परिचित होते हैं।
पुस्तकें हमारे व्यक्तित्व को विकसित करने में मदद करती हैं। पढ़ाई के दौरान हम जो जानकारी प्राप्त करते हैं, वह हमारे सोचने के तरीके को बदल सकती है। एक अच्छी किताब हमें नई सोच, नई दृष्टि और एक बेहतर व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करती है।
पुस्तकें समय के साथ बदलती जाती हैं, लेकिन उनका महत्व हमेशा बना रहता है। चाहे वह कहानी हो या किसी विशेष विषय पर अध्ययन, पुस्तकें हमें एक बेहतर भविष्य की ओर मार्गदर्शन करती हैं। इसलिए, हमें हमेशा पुस्तकों के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
(ग) परिश्रम का महत्व
परिश्रम सफलता की कुंजी है। कोई भी व्यक्ति यदि जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है, तो उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। परिश्रम से न केवल हमारी शारीरिक क्षमता बढ़ती है, बल्कि मानसिक विकास भी होता है।
हमारे पूर्वजों ने हमेशा परिश्रम का महत्व बताया है। बिना परिश्रम के कोई भी उद्देश्य प्राप्त करना असंभव है। जीवन में किसी भी प्रकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय, प्रयास और निरंतर मेहनत जरूरी है। जो लोग कठिनाइयों के बावजूद भी मेहनत करते रहते हैं, वे अंततः सफलता प्राप्त करते हैं।
इसके अलावा, परिश्रम हमें आत्मविश्वास भी देता है। जब हम मेहनत करते हैं और उसके परिणामस्वरूप सफलता प्राप्त करते हैं, तो हमारी आत्म-निर्भरता और आत्मसम्मान बढ़ता है। परिश्रम जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जिसे कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। अतः हमें हमेशा परिश्रम को अपनी आदत बनाना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ने के लिए कठिनाईयों का सामना करना चाहिए।
उत्तर 5:
(i) कपालु → कृपालु, घणा → घृणा
(ii) ऊचा → ऊँचा, मनोरजन → मनोरंजन
(iii) सुख → सुखी, वीर → वीरता
(iv) खिड़की के पास कोई खड़ा है।
(v) चमकीला: मूल शब्द - चमक, प्रत्यय - ईला
उत्तर 6:
(i) विशेषण: सुनहरे, विशेष्य: बाल
(ii) पदेश → परदेश
(iii) बगीचे में आम, अमरूद और सेब के पेड़ हैं।
(iv) दिन: सूरज दिन में चमकता है।
दीन: दीन लोगों की मदद करनी चाहिए।
(v) कमल: पद्म, कुमुद
अमृत: सुधा, पीयूष
उत्तर 7:
(i) (क) युद्ध-भूमि के बीच चौकड़ी भर-भरकर
(ii) (ग) चेतक बिना कोड़ा खाए राणा की बात समझ जाता था।
(iii) (ख) वह ऐसे दौड़ता था मानो आसमान में दौड़ लगा रहा हो
(iv) (क) उसकी तेज़ दौड़ने की क्षमता
(v) (ख) वह दुश्मन के नायक को पछाड़ रहा था
उत्तर 8:
(i) (क) वह डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाती थी।
(ii) (ख) असम की नृत्य परंपरा पर एक डॉक्यूमेंट्री बनानी थी।
(iii) (ग) असम यात्रा की योजना बहुत जल्दबाजी में बनाई गई।
(iv) (क) लंदन की ब्रिटिश अकादमी ने
(v) (ख) बसंत की छुट्टियाँ बढ़ाने की अनुमति
उत्तर 9:
(क) लड़के-लड़कियों को नृत्य करते देखकर एंजेला को लगा ये सभी मौज-मस्ती में खोए हुए हैं। इन्हें बाहरी दीन-दुनिया का कुच्छ भी पता नहीं है। उनका शरीर निरंतर हिलता-डुलता दिखाई दे रहा है। सभी मंत्रमुग्ध से हैं। एंजेला के मन में भी इच्छा हुई कि वह भी अपने घर पर वसंत के आने पर ऐसे ही नृत्य करेगी।
(ख) चेतक अपने सवार राणा के साथ गहरे रूप में जुड़ा था। वह अपने मालिक का इशारा भली-भाँति समझता था। यहाँ तक कि हवा से यदि लगाम हिल जाती तो उसे लगता था कि लगाम सवार ने हिलाई है और वह राणा को लेकर हवा हो जाता था।
(ग) कवि को मातृभूमि पर गर्व है, क्योकि यह भूमि राम, सीता, श्रीकृष्ण और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों की जन्मस्थली है, जिन्होने मानवता को धर्म, न्याय, दया और प्रेम का मार्ग दिखाया। ऐसी पवित्र भूमि पर जन्म लेना कवि के लिए गर्व की बात है।
(घ) धरती को जीवनदान तब मिलता है, जब वर्षा की पहली बूँद धरती पर गिरती है। यह बूँद धरती के लिए अमृत के समान होती है, जिससे धरती की सूखी सतह को नया जीवन मिलता है। बीज अंकुरित होते हैं और धरती हरी-भरी हो जाती है, जिससे उसे नव-जीवन का अनुभव होता है।
(ङ) बाबा भारती को नगर के जीवन से घृणा थी, क्योकि उन्होने अपने सांसारिक जीवन का त्याग करके भगवत भजन और साधारण जीवन को अपनाया था। उनके लिए नगर का जीवन अब मोह और माया से भरा हुआ था, जिससे वे दूर रहना चाहते थे। इस कारण, वे गाँव के बाहर एक छोटे-से मंदिर में निवास करने लगे।
(च) प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ है कि जब जिह्ला बिना सोचे-समझे कुछ भी कह देती है, तो उसका दुष्परिणाम सिर को भुगतना पड़ता है, जो अकसर अपमान और दु.ख का कारण बनते हैं।
उत्तर 10:
(क) खड्गसिंह ने सोचा कि भाग्य की बात है। ऐसा घोड़ा खड्गसंस के पास होना चाहिए था। बाबा भारती जैसे साधु को इस घोड़े का क्या लाभ हो सकता है। खड्गसिंह ने ऐसा इसलिए सोचा, क्योंकि खड्गासिंह ने सैकड़ों घोड़े देखे थे, परंतु ऐसा बाँका घोड़ा उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसकी ईष्यों और लालच ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया।
(ख) कवि ने ‘भिन्ना स्नेह विद्युत-दिये’ को बुझाने को कहा है, क्योंकि ये दिये स्नेह और प्रेम से रहित हैं, इसलिए ये सच्चा मार्ग नहीं दिखा सकते।
(ग) एंजेला ने कार से उतरकर देखा, एक बरगद के पेड़ के नीचे उत्सव का-सा माहौल है। उसने बरगद के पेड़ के नीचे एक मंच देखा। उसके इर्द-गिर्द लोगों की भारी भीड़ थी। लड़के-लड़कियाँ वसंत ऋतु के आगमन पर नृत्यकर रहे थे। लड़कों ने वाद्य-यंत्र ले रखे थे। लड़कियों ने रंगीन, खूबसूरत पोशाक पहन रखी थी। वे सभी मस्त प्रतीत हो रहे थे।
(घ) चेतक के लिए बहती नदी और बज्रमय बादल की उपमाएँ दी गई हैं। वह बहती नदी के समान लहराता चलता था तो शत्रु पर बिजली बनकर गिरता था। वह तो बज्रमय बादल के समान था जो शत्रु सेना पर टूट पड़ता था।
(ङ) बालक कृष्ण ने स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए-
प्रश्न के लिए यहाँ क्लिक करें: Sample Paper - 4
1. खण्ड 'क' (अपठित बोध) में क्या होता है? | ![]() |
2. खण्ड 'ख' (रचनात्मक लेखन) में छात्रों को क्या करने के लिए कहा जाता है? | ![]() |
3. खण्ड 'ग' (व्याकरण अनुभाग) में किस प्रकार के प्रश्न होते हैं? | ![]() |
4. खण्ड 'घ' (पठित बोध) में छात्रों को क्या करना होता है? | ![]() |
5. इस परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए छात्रों को क्या सुझाव दिए जा सकते हैं? | ![]() |