Table of contents |
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खण्ड 'क' (अपठित बोध) |
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खण्ड 'ख' (रचनात्मक लेखन) |
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खण्ड 'ग' (व्याकरण अनुभाग) |
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खण्ड 'घ' (पठित बोध) |
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उत्तर 1:
(i) (क) धन को
(ii) (ख) सम्मान के साथ जीना
(iii) (ग) बेईमानी से धन कमाने वाले लोग
(iv) (ख) बेईमानी से कमाया हुआ
(v) (ग) ईमानदार
उत्तर 2:
(i) (ख) हिमालय की
(ii) (ग) उत्तरी
(iii) (ख) हिमालय ने
(iv) (क) हिम का
(v) (ख) सूर्य की किरणों में
उत्तर 3:
पत्र 1: प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
[विद्यालय का नाम],
[विद्यालय का पता]
विषय: अक्षयधाम मंदिर की शैक्षिक यात्रा के लिए अनुमति हेतु प्रार्थना-पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारी कक्षा के सभी विद्यार्थी अक्षयधाम मंदिर की एक शैक्षिक यात्रा पर जाना चाहते हैं। यह मंदिर अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस यात्रा से हमें भारतीय संस्कृति, कला एवं इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
हम आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि विद्यालय की ओर से इस यात्रा को स्वीकृति प्रदान करें। यदि संभव हो, तो यात्रा के लिए दिनांक एवं मार्गदर्शन तय कर दिया जाए। हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी विद्यार्थी अनुशासन और नियमों का पालन करें।
आशा है कि आप हमारे इस निवेदन को स्वीकार करेंगे और हमें इस शैक्षिक यात्रा का अवसर प्रदान करेंगे।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी छात्र,
[आपका नाम]
[कक्षा]
[अनुक्रमांक]
अथवा
पत्र 2: मित्र को पत्र
प्रिय [मित्र का नाम],
स्नेहपूर्ण अभिवादन!
आशा है कि तुम कुशल और प्रसन्न होंगे। आज मैं तुम्हें अपने एक अनोखे अनुभव के बारे में बताने जा रहा हूँ। हाल ही में मैंने पहली बार विद्यालय के मंच पर कविता-पाठ किया। यह अनुभव मेरे लिए बहुत ही यादगार और रोमांचक रहा।
जब मेरा नाम मंच पर बुलाया गया, तो मेरे मन में थोड़ी घबराहट थी। लेकिन जैसे ही मैंने कविता पढ़ना शुरू किया, मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा। श्रोताओं की तालियाँ और उनकी उत्सुकता देखकर मेरा उत्साह दोगुना हो गया। मैंने अपनी कविता को पूरे भाव और उत्साह के साथ प्रस्तुत किया। प्रस्तुति समाप्त होते ही सभागार तालियों की गूँज से भर गया।
यह अनुभव मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक रहा। अब मुझे मंच पर प्रस्तुति देने में कोई झिझक नहीं होगी। अगली बार किसी कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिलेगा, तो मैं और भी बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा।
तुम्हारी क्या हाल-चाल हैं? पत्र का उत्तर जल्द देना।
तुम्हारा मित्र,
[तुम्हारा नाम]
उत्तर 4:
(क) पहला सुख निरोगी काया
मनुष्य के जीवन में सुख और संपत्ति का बहुत महत्व है, लेकिन इन सबसे अधिक महत्वपूर्ण उसका स्वास्थ्य है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं है, तो धन, वैभव और ऐश्वर्य का कोई महत्व नहीं रह जाता। इसीलिए कहा जाता है – "पहला सुख निरोगी काया।"
स्वस्थ शरीर हमें जीवन में हर कार्य को करने की शक्ति देता है। यदि शरीर रोगग्रस्त हो जाए, तो मनुष्य न तो शारीरिक कार्य कर सकता है और न ही मानसिक रूप से प्रसन्न रह सकता है। स्वास्थ्य अच्छा हो तो व्यक्ति अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है।
स्वस्थ जीवन के लिए हमें संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जंक फूड से परहेज करना, समय पर भोजन करना और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है। इसके अलावा, मानसिक शांति के लिए ध्यान और योग का अभ्यास भी बहुत लाभदायक होता है।
यदि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे, तो जीवन में बड़ी-बड़ी सफलताएँ भी अधूरी लगेंगी। इसलिए हमें अपने शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने के लिए सदैव सतर्क रहना चाहिए। सच ही कहा गया है – "स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है।"
(ख) मेरे जीवन का लक्ष्य
हर व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है, जिससे वह प्रेरित होकर अपने भविष्य का निर्माण करता है। मेरे जीवन का लक्ष्य एक सफल [व्यवसायी/डॉक्टर/अध्यापक/इंजीनियर] बनना है। यह लक्ष्य मेरे बचपन से ही मेरे मन में बसा हुआ है और मैं इसे पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ।
मैंने यह लक्ष्य इसलिए चुना क्योंकि यह समाज और देश की सेवा का एक सशक्त माध्यम है। अपने सपने को साकार करने के लिए मैं पूरी लगन और निष्ठा से पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि सफलता के लिए सिर्फ सपने देखना पर्याप्त नहीं, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम भी जरूरी है।
मुझे विश्वास है कि यदि मैं निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहूँगा, तो एक दिन अवश्य सफल हो जाऊँगा। मेरे माता-पिता और गुरुजन मुझे हमेशा प्रेरित करते हैं, जिससे मेरा आत्मविश्वास और भी बढ़ जाता है। मैं समाज और देश की सेवा करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता हूँ।
(ग) वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु को 'रिमझिम फुहारों की ऋतु' भी कहा जाता है। यह ऋतु आषाढ़ और सावन के महीने में आती है और गर्मी की तपन से राहत दिलाती है। इस ऋतु का आगमन काले बादलों, ठंडी हवा और रिमझिम बारिश के साथ होता है, जिससे धरती एक नई हरियाली से भर जाती है।
बारिश में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य बिखर जाता है। पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं, नदियाँ पानी से लबालब भर जाती हैं और किसान अपनी खेती के लिए खुश हो जाते हैं। बच्चे बारिश में भीगने और कागज़ की नाव चलाने का आनंद लेते हैं।
हालाँकि, इस ऋतु के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। अत्यधिक वर्षा से बाढ़ आ जाती है, जिससे जन-जीवन प्रभावित होता है। कीचड़ और जलभराव से बीमारियाँ भी फैलती हैं। इसलिए इस मौसम में सफाई और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
वर्षा ऋतु के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष हैं, लेकिन फिर भी यह ऋतु हमारे जीवन में आनंद और नई ऊर्जा का संचार करती है।
(घ) दिन-प्रतिदिन बढ़ता प्रदूषण
आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। वायु, जल, ध्वनि और भूमि प्रदूषण हमारे पर्यावरण को प्रतिदिन नुकसान पहुँचा रहे हैं। उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, वाहनों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन और प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
प्रदूषण के कारण अनेक बीमारियाँ फैल रही हैं। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी रोग बढ़ रहे हैं, जल प्रदूषण से पीने का पानी दूषित हो रहा है और ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव बढ़ रहा है। प्रदूषण का प्रभाव न केवल मनुष्यों पर, बल्कि पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों पर भी पड़ रहा है।
हमें प्रदूषण को कम करने के लिए जागरूकता फैलानी होगी। अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, प्लास्टिक का उपयोग कम करना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन को अपनाना चाहिए। यदि हमने समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाली पीढ़ी को इसके गंभीर परिणाम झेलने होंगे।
अतः हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए, जिससे हमारी पृथ्वी सुरक्षित और स्वच्छ बनी रहे।
उत्तर 5: (i) राष्ट्रभाषा और मातृभाषा में अंतर: राष्ट्रभाषा वह भाषा है जो पूरे देश में संचार और एकता के लिए प्रयोग की जाती है, जैसे हिंदी। मातृभाषा वह भाषा है जो व्यक्ति जन्म से अपनी माँ से सीखता है, जैसे भोजपुरी या तमिल।
(ii) संधि के भेद: संधि के तीन भेद हैं - स्वर संधि, व्यंजन संधि, और विसर्ग संधि।
(iii) शब्द: अर्थपूर्ण ध्वनियों का समूह शब्द कहलाता है। शब्द को दो वर्णों में बाँटा जाता है - स्वर और व्यंजन।
(iv) सर्वनाम और विशेषण में अंतर: सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है (जैसे मैं, वह), जबकि विशेषण संज्ञा की विशेषता बताता है (जैसे सुंदर, बड़ा)।
(v) उपसर्ग से शब्द:
(क) अधि: अधिकार, अधिसूचना
(ख) नि: निर्माण, निर्जन
उत्तर 6:
(i) विभाजन:
दीवार = दी + वार
किताब = कित + आब
(ii) सत्य/असत्य:
(क) असत्य (मुख से उच्चारित भाषा को मौखिक भाषा कहते हैं।)
(ख) सत्य (रचना की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते हैं - संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि।)
(iii) रिक्त स्थान:
(क) जून में बहुत अधिक गर्मी होती है।
(ख) एगस ने पढ़ाई करके पढ़ाई छोड़ दिया।
(iv) मूल शब्द और प्रत्यय:
संगीत = सं + गीत
विशेष = वि + शेष
(v) समास शब्द:
(क) उत्तमदेव
(ख) नवजीवन
उत्तर 7:
(i) (क) वे अपनी संतान तैयार कर जाते हैं।
(ii) (क) बीज
(iii) (ग) दोनों क-ख
(iv) (क) पारस से
(v) पेड़-पौधे फूलों के बहाने हँसते प्रतीत होते हैं।
उत्तर 8:
(i) (ख) थोड़ा दम ले रहे थे
(ii) (ख) उसकी गाड़ी ऊँचाई पर नहीं चढ़ पा रही थी
(iii) (ग) दोनों क-ख
(iv) एक किसान अनाज से भरी गाड़ी लेकर नाले में आया। नाले में कीचड़ थी।
उत्तर 9:
(क) एलेसेंड्रा एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता थी । उन्हें ब्रिटिश अकादमी से असम की नृत्य परंपरा पर एक डॉक्यूमेंट्री कार्यक्रम बनाने के लिए वित्तीय मदद की गई थी और फिल्म को पूरा करने के लिए वे भारत यात्रा पर आई थीं।
(ख) धरा पर अँधकार को मिटाने के लिए हम प्रेम व सौहार्दपूर्ण व्यवहार करें। विद्युत – दिए न जलाकर प्रेम से भरे तेल रूपी दीप जलाने चाहिए।
(ग) हर वस्तु का अपना महत्व होता है। अतः किसी बड़ी या महँगी वस्तु के प्राप्त होने पर छोटी या सस्ती वस्तु को तुच्छ समझकर त्यागना नहीं चाहिए ।
(घ) छटा निराली अर्थात त्रिवेणी संगम को देखकर मानव मंत्र-मुग्ध हो जाता है। यह दृश्य अद्भुत है।
(ङ) श्रीकृष्ण स्वयं को अत्यन्त छोटा बालक बताते हैं । वह यह भी बताते हैं कि उनकी भुजाएँ भी बहुत छोटी हैं।
(च) इस पंक्ति के माध्यम से कवि भारतवर्ष में पैदा होने वाली आम की अनेक किस्मों की ओर संकेत कर रहे हैं।
उत्तर 10:
(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ को भोरी अर्थात् भोली बताते हैं क्योंकि वह आसानी से सबकी बातों में आ जाती हैं। वह अपनी माता से कहते हैं कि उनके हृदय में ज़रूर कुछ भेद उपज रहा है जिसकी वजह से वह श्रीकृष्ण पर सन्देह कर रही हैं।
(ख) रामप्रसाद बिस्मिल का मानना था कि उनके जीवन में जो साहस आया, वह उनकी माता जी तथा उनके गुरुदेव श्री सोमनाथ जी की कृपाओं का ही परिणाम है। उनकी माँ ने कभी उनका साहस भंग न होने दिया। एक देवी की भाँति शक्तिस्वरूपा बनकर उनका मार्गदर्शन किया।
(ग) चेतक को देख दुश्मन दंग रह गए क्योंकि वह एक अद्भुत घोड़ा था। वह अपने तेज दौड़ने, वीरता और स्वामिभक्ति के लिए जाना जाता था। साथ ही वह अपने पैरों से दुश्मनों को कुचल रहा था।
(घ) जिह्वा का हमारे व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण योगदान है। इस जिह्वा के माध्यम से जहाँ एक तरफ हम समाज में अपना स्थान बना सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ इसका दुरुपयोग करके हम समाज में बदनामी और उपहास का पात्र भी बन सकते हैं। इसलिए मुँह से शब्द निकालने से पहले भली-भाँति विचार करना आवश्यक है। कम बोलो पर उचित बोलो।
(ङ) ‘जलाते रहो’ कविता के माध्यम से यह कहना चाह रहा है कि सच्चाई, अच्छाई अंततः जीतती है। समय के प्रभावस्वरूप उस पर कालिका भले ही छा गए, पर अंत में सवेरा होकर रहता है। प्रयास जारी रखना चाहिए। उन्हें एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलकर रहेगी।
प्रश्न के लिए यहाँ क्लिक करें: Sample Paper - 2