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Short & Long Question Answers: मैया मैं नहिं माखन खायो | Short & Long Answer Questions for Class 6 PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1: ‘मैया मैं नहिं माखन खायो।’ कौन किससे कह रहा है?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण माता यशोदा जी से कहते हैं कि- मैया मैंने माखन नहीं खाया है।

प्रश्न 2: भोर होते ही कन्हैया कहाँ चले जाते हैं?
उत्तर: 
भोर होते ही कन्हैया गौओं को चराने मधुबन चले जाते हैं।

प्रश्न 3: श्रीकृष्ण ने किसे अपना बैरी बताया है?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण ने ग्वाल-बाल को अपना बैरी बताया है।

प्रश्न 4: श्रीकृष्ण छींके पर न चढ़ने का कारण क्या बताते हैं?
उत्तर: 
माँ यशोदा से कृष्ण कहते हैं कि मैं तो छोटा बालक हूँ मेरा हाथ तो छींके तक पहुँचता ही नहीं है।

Short & Long Question Answers: मैया मैं नहिं माखन खायो | Short & Long Answer Questions for Class 6
प्रश्न 5: श्रीकृष्ण स्वयं को कैसा बालक बताते हैं?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण स्वयं को अत्यन्त छोटा बालक बताते हैं । वह यह भी बताते हैं कि उनकी भुजाएँ भी बहुत छोटी हैं।

प्रश्न 6: किसने श्रीकृष्ण के मुख से माखन लिपटा दिया है?
उत्तर: 
ग्वाल बालकों ने श्रीकृष्ण के मुख से जबरन माखन लिपटा दिया है क्योंकि वे उनसे बैर रखते हैं।

प्रश्न 7: अंत में कृष्ण क्या धमकी देते हैं?
उत्तर: 
अंत में कृष्ण यह धमकी देते हैं-हे माँ! तूने अब तक मुझे बहुत नाच नचा लिया अर्थात् खूब तंग कर लिया। वन जो मुझे लाठी-कंबल दिया है, उसे ले मैं तुझे वापस करता हूँ। मुझे ये नहीं चाहिए। अब मैं स्वतंत्र होना चाहता हूँ।

प्रश्न 8: कृष्ण की बातों का माँ यशोदा पर क्या असर हुआ ?
उत्तर: 
कृष्ण की भोली बातें सुनकर माता यशोदा का दिल पिघल गया। उसका क्रोध जाता रहा तथा वात्सल्य भाव उमड़ आया। उसने शीब्र ही बालक कृष्ण अपनी छाती और गले से लगा लिया। अब दोनों सामान्य अवस्थ में आ गए।

प्रश्न 9: ‘छीका’ किसे कहते हैं? और इसमें क्या रखा था?
उत्तर: 
‘छीका’ एक प्रकार का गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल है जिसे ऊँची जगह पर लटकाया जाता है। इसमें माता यशोदा ने माखन रखा हुआ था ।

प्रश्न 10: श्रीकृष्ण अपनी माँ को ‘भोरी’ क्यों कहते हैं?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण अपनी माँ को भोरी अर्थात् भोली बताते हैं क्योंकि वह आसानी से सबकी बातों में आ जाती हैं। वह अपनी माता से कहते हैं कि उनके हृदय में ज़रूर कुछ भेद उपज रहा है जिसकी वजह से वह श्रीकृष्ण पर सन्देह कर रही हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1: सूरदास जी ने ‘मैया मैं नहिं माखन खायो’ पद में कृष्ण की मासूमियत और चतुराई को कैसे प्रकट किया है?
उत्तर: 
सूरदास जी ने इस पद में कृष्ण की बाल सुलभ मासूमियत और उनकी चतुराई का सुंदर चित्रण किया है। जब माता यशोदा उन पर माखन चोरी का आरोप लगाती हैं, तो कृष्ण अपनी सफाई में बहुत ही भोलेपन से तर्क देते हैं। वे बताते हैं कि वे सुबह से गाय चराने गए थे और चार पहर तक बंसीवट के पास थे, जिससे यह सिद्ध होता है कि वे घर पर माखन चोरी करने नहीं आए। वे यह भी कहते हैं कि वे छोटे बालक हैं और उनकी बाहें इतनी लंबी नहीं कि ऊँचे छींके तक पहुँचकर माखन चुरा सकें। इसके अलावा, वे ग्वाल-बालों पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने जबरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया।
कृष्ण अपने भोलेपन से अपनी माँ को यह भी जताते हैं कि वह बहुत सरल हृदय की हैं और दूसरों की बातों पर जल्दी विश्वास कर लेती हैं। अंत में, वे अपनी लकुटी (छड़ी) और कमरिया (दुपट्टा) वापस देते हुए कहते हैं कि माँ ने उन्हें बहुत नचाया है, जिससे उनकी नाराजगी भी झलकती है। इस प्रकार, सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की मासूमियत और उनकी चतुराई का अद्भुत वर्णन किया है।

प्रश्न 2: इस पद में कृष्ण और यशोदा के बीच प्रेमपूर्ण संबंध को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: 
इस पद में श्रीकृष्ण और माता यशोदा के बीच प्रेम, स्नेह और विश्वास का अत्यंत मधुर चित्रण किया गया है। जब यशोदा कृष्ण पर माखन चोरी का आरोप लगाती हैं, तो कृष्ण अपनी सफाई में मासूमियत भरे उत्तर देते हैं। वे अपनी माँ को समझाने की पूरी कोशिश करते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया, बल्कि ग्वाल-बालों ने जबरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया।
यशोदा अपने पुत्र के इस भोलेपन और तर्कों से अंततः प्रभावित होती हैं और हंस पड़ती हैं। इसके बाद, वे कृष्ण को अपने हृदय से लगा लेती हैं, जिससे उनके प्रेम का गहरा संबंध स्पष्ट होता है। यह संवाद केवल माखन चोरी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि माँ-बेटे के स्नेह और आपसी समझ को भी दर्शाता है। इस पद के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि माता-पिता और बच्चों के बीच प्रेम और विश्वास का संबंध कभी नहीं टूटना चाहिए।
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प्रश्न 3: सूरदास जी की कविता ‘मैया मैं नहिं माखन खायो’ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस कविता से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं:

  • सच्चाई की शक्ति: कृष्ण पूरे पद में अपनी मासूमियत और चतुराई से अपनी सफाई पेश करते हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
  • माँ-बेटे का प्रेम: कृष्ण और यशोदा के बीच का प्रेम इस कविता में स्पष्ट रूप से दिखता है। यह हमें माता-पिता और बच्चों के बीच के स्नेहपूर्ण रिश्ते की अहमियत सिखाता है।
  • भोलेपन और सरलता का महत्व: कविता में यशोदा को भोली बताया गया है, जो दूसरों की बातों पर जल्दी विश्वास कर लेती हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है कि कभी-कभी लोगों को समझने और परखने की जरूरत होती है।
  • मासूमियत का प्रभाव: कृष्ण अपनी मासूमियत से अपनी माँ को मना लेते हैं। यह दर्शाता है कि प्रेम और सरलता से हर कठिन परिस्थिति को हल किया जा सकता है।

इस प्रकार, यह कविता केवल एक बाल लीला का वर्णन नहीं करती, बल्कि स्नेह, सच्चाई और सरलता जैसे मूल्यों को भी हमारे सामने प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 4: ‘मैया मैं नहिं माखन खायो’ कविता में ग्वाल-बालों की क्या भूमिका है?
उत्तर: 
इस कविता में ग्वाल-बालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जब माता यशोदा श्रीकृष्ण पर माखन चोरी का आरोप लगाती हैं, तो कृष्ण ग्वाल-बालों को दोषी ठहराते हैं। वे अपनी माँ से कहते हैं कि ग्वाल-बाल उनके विरोधी हैं और उन्होंने जबरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया है।
ग्वाल-बालों को इस कविता में शरारती दिखाया गया है, जो कृष्ण को चिढ़ाने और उनकी शिकायत करने का काम करते हैं। वे कृष्ण की बाल लीलाओं का हिस्सा बनकर उन्हें सताने और शरारत करने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, ग्वाल-बाल केवल कृष्ण के मित्र ही नहीं, बल्कि उनकी बाल लीलाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पात्र भी हैं।

प्रश्न 5: सूरदास जी ने अपनी कविता में भाषा और शैली का प्रयोग कैसे किया है?
उत्तर: 
सूरदास जी ने ‘मैया मैं नहिं माखन खायो’ कविता में बहुत सरल, मधुर और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग किया है। इस कविता की शैली संवादात्मक (संवाद रूप) है, जिसमें कृष्ण और उनकी माँ यशोदा के बीच वार्तालाप होता है। संवाद शैली होने के कारण यह कविता अधिक जीवंत और प्रभावशाली बन जाती है।
इस कविता में अवधी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो इसे सरल और सुगम बनाते हैं। सूरदास जी ने तुकबंदी और लय का सुंदर तालमेल बैठाया है, जिससे कविता गेय बन जाती है। इस पद में भावनाओं की अभिव्यक्ति अत्यंत सहज और हृदयस्पर्शी है।
सूरदास जी ने चित्रात्मक शैली का भी प्रयोग किया है, जिससे पाठक के मन में कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर चित्र उभरता है। जैसे: "मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।" (मैं तो छोटा बालक हूँ, मेरी बाहें भी छोटी हैं, तो मैं ऊँचे छींके से माखन कैसे चुरा सकता हूँ?)
इस प्रकार, सूरदास जी की भाषा, शैली, और भावनाओं की गहराई इस कविता को अविस्मरणीय बना देती हैं।

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FAQs on Short & Long Question Answers: मैया मैं नहिं माखन खायो - Short & Long Answer Questions for Class 6

1. "मैया मैं नहिं माखन खायो" poem का मुख्य संदेश क्या है?
Ans. इस कविता का मुख्य संदेश है कि बच्चों की मासूमियत और innocence को दर्शाया गया है। इसमें एक बच्चे की माँ के प्रति प्रेम और उसके द्वारा माखन खाने से इनकार करने की कोशिश की गई है, जो उसकी ईमानदारी और सच्चाई को दर्शाता है।
2. कविता के पात्र कौन-कौन हैं?
Ans. इस कविता में मुख्य पात्र एक बच्चा है जो अपनी माँ से बात कर रहा है। इसके अलावा, माँ भी एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो अपने बच्चे के प्रति चिंता और प्रेम व्यक्त कर रही हैं।
3. "मैया मैं नहिं माखन खायो" कविता में कौन-सी भावनाएँ व्यक्त की गई हैं?
Ans. इस कविता में बच्चे की मासूमियत, ईमानदारी, और माँ के प्रति प्रेम की भावनाएँ व्यक्त की गई हैं। बच्चे की बातों में चतुराई और अद्भुत innocence नज़र आती है, जो पाठकों को भावुक कर देती है।
4. इस कविता में प्रयुक्त भाषा और शैली कैसी है?
Ans. कविता की भाषा सरल और सहज है, जो बच्चों की समझ में आती है। इसमें संवादात्मक शैली का उपयोग किया गया है, जिससे पाठक बच्चे के मनोभावों को आसानी से समझ सकते हैं।
5. "मैया मैं नहिं माखन खायो" कविता का सांस्कृतिक संदर्भ क्या है?
Ans. यह कविता भारतीय संस्कृति में माता-पिता और बच्चों के बीच के संबंधों को दर्शाती है। इसमें माता की ममता और बच्चे की मासूमियत को एक साथ जोड़कर प्रस्तुत किया गया है, जो भारतीय परिवारों में एक सामान्य परंपरा है।
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