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Short & Long Question Answers: रहीम के दोहे | Short & Long Answer Questions for Class 6 PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1: रहीम ने सुई और तलवार के उदाहरण किस संदर्भ में दिए हैं?
उत्तर: 
रहीमदास का मानना है कि हमें प्रत्येक वस्तु को या मनुष्य को समान महत्व देना चाहिए। क्योंकि एक का स्थान दूसरा नहीं ले सकता जैसे सुई कपड़े सिलने के काम आती है और तलवार युद्ध में। इन दोनों का प्रयोग एक-दूसरे के स्थान पर नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2: प्रकृति हमें क्या सीख देती है? रहीमदास के दोहे के आधार पर बताइए ।
उत्तर: 
प्रकृति हमें परोपकार करने की सीख देती हैं जैसे – वृक्ष अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते, ऐसे ही हमें भी अपना जीवन दूसरों की सहायता करके जीना चाहिए।

प्रश्न 3: प्रेम रूपी धागे को तोड़ना क्यों नहीं चाहिए?
उत्तर: 
प्रेम रूपी धागे को तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यदि संबंधों में प्रेम रूपी धागा एक बार टूट जाता है तो मन में गाँठ बन जाती है अर्थात संबंध ठीक हो जाने पर भी मन-मुटाव रह ही जाता है।

Short & Long Question Answers: रहीम के दोहे | Short & Long Answer Questions for Class 6
प्रश्न 4: हमारे जीवन में पानी का अत्यधिक महत्व है क्यों और कैसे?
उत्तर: 
हमारे जीवन में पानी का बहुत महत्व है। इसे बनाए रखना चाहिए। यदि पानी न हो तो मोती का कोई महत्व न रहेगा। पानी अर्थात चमक के बिना मोती बेकार है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है और जल के बिना आटे की रोटी नहीं बन सकती और चूना अपनी सफ़ेदी भी पानी के बिना नहीं देता।

प्रश्न 5: हमें अपनी जिह्वा से सोच-समझकर क्यों बोलना चाहिए?
उत्तर: 
हमें अपनी जिह्वा से सोच-समझकर बोलना चाहिए क्योंकि यदि हम बिना सोचे-समझे कुछ बोल देते हैं तो कई बार दूसरे को बूरा लग जाता है और हमें शर्मिंदा होना पड़ता है।

प्रश्न 6: सच्चे मित्र की पहचान कैसे होती है?
उत्तर: 
रहीम के अनुसार, सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है, जब सच्चे मित्र कसौटी पर खरे उतरते हैं।

प्रश्न 7: पेड़ और तालाब के उदाहरण से रहीम क्या समझाना चाहते हैं?
उत्तर: 
रहीम समझाना चाहते हैं कि जैसे पेड़ अपने फलों का सेवन नहीं करते और तालाब अपना पानी नहीं पीते, वैसे ही समझदार व्यक्ति अपनी संपत्ति को दूसरों के लाभ के लिए संचित करते हैं।

प्रश्न 8: प्रकृति हमें क्या सीख देती है? रहीमदास के दोहे के आधार पर बताइए।
उत्तर: 
प्रकृति हमें परोपकार करने की सीख देती हैं जैसे – वृक्ष अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते, ऐसे ही हमें भी अपना जीवन दूसरों की सहायता करके जीना चाहिए।

प्रश्न 9: रहीम जिह्वा को बावरी अर्थात पागल क्यों कहते हैं?
उत्तर: 
रहीमदास ने जिह्वा को बावरी कहा है जैसे एक पागल कुछ भी कहने से पूर्व सही-गलत नहीं सोचता, वैसे ही जिह्वा भी कई बार ऐसा कुछ बोल देती है कि दिमाग को जूते खाने पड़ते हैं अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।

प्रश्न 10: रहीम का दिल और मस्तिष्क के बीच क्या संबंध है?
उत्तर: 
रहीम के अनुसार दिल और मस्तिष्क का गहरा संबंध है। दिल के बिना व्यक्ति में संवेदनशीलता और प्रेम का अभाव होता है, और मस्तिष्क के बिना व्यक्ति निर्णय लेने की क्षमता खो देता है। दिल और मस्तिष्क दोनों का संतुलन जीवन में आवश्यक है, क्योंकि इससे व्यक्ति सही दिशा में सोचने और प्रेमपूर्वक कार्य करने में सक्षम होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1: वर्तमान में भी रहीमदास के दोहों की सार्थकता ज्यों की त्यों है- कैसे?
उत्तर: 
वर्तमान समय में भी रहीमदास के दोहों की प्रासिंगता ज्यों की त्यों बनी है। जैसे बड़े को पाकर छोटों को मत छोड़ो, सज्जन लोगों की भाँति दूसरों की सहायता करना एवं परोपकार की भावना से प्रेरित होना चाहिए। किसी के साथ प्रेम संबंधों को तोड़ना नहीं चाहिए, विपदा के दिनों में यह पता चल जाता है कि कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी । हमें अपनी जीभ से सोच- समझकर बोलना चाहिए और सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति के समय में भी काम आए। ये सभी तथ्य वर्तमान में भी आवश्यक हैं और भविष्य में भी रहेंगे । इसीलिए रहीमदास जी के दोहों को उपयोगी माना जाता है।

प्रश्न 2: रहीम के अनुसार संयम और प्रेम का जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर: 
रहीम के अनुसार संयम और प्रेम का जीवन में बहुत महत्व है। संयम से व्यक्ति लालच और मोह से बचता है और जीवन में संतुलन बनाए रखता है। प्रेम जीवन को सुंदर बनाता है और रिश्तों में मधुरता लाता है। बिना संयम के जीवन में दुख और परेशानी होती है, और बिना प्रेम के जीवन सूना और कठिन होता है। इसलिए संयम और प्रेम दोनों का संतुलन जीवन में आवश्यक है।

प्रश्न 3: रहीम के दोहे आज के समय में किस प्रकार प्रासंगिक हैं?
उत्तर: 
रहीम के दोहे आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। वर्तमान समय में भी प्रेम, विनम्रता, और संयम का उतना ही महत्व है जितना रहीम के समय में था। आज जब लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में फंसकर संबंधों को दरकिनार कर रहे हैं, रहीम के दोहे हमें प्रेम और सच्चाई का महत्व समझाते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि जीवन में संबंधों और मानवीय मूल्यों को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 4: रहीम के अनुसार बड़ा व्यक्ति कैसे बन सकता है?
उत्तर: 
रहीम के अनुसार बड़ा व्यक्ति वही बन सकता है जो विद्या, प्रेम, और विनम्रता के रास्ते पर चले। बड़ा व्यक्ति वह नहीं होता जो धन और संपत्ति से भरा हो, बल्कि वह होता है जो दूसरों के प्रति दयालु और समझदार हो। रहीम ने जीवन में विनम्रता और विद्या को सबसे बड़ा गुण माना है, जो व्यक्ति को सच्चे मायने में महान बनाते हैं।

प्रश्न 5: रहीम के अनुसार विद्या और विनम्रता का क्या संबंध है?
उत्तर: 
रहीम के अनुसार विद्या और विनम्रता का गहरा संबंध है। जैसे पेड़ फल से लदा होने पर झुक जाता है, उसी प्रकार जो व्यक्ति विद्या और ज्ञान से परिपूर्ण होता है, वह और भी विनम्र हो जाता है। विद्या का उद्देश्य व्यक्ति को गर्व से नहीं, बल्कि विनम्रता से भरना है। इसलिए विद्या हमें विनम्र बनाती है और हमें दूसरों की सेवा के लिए प्रेरित करती है।

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FAQs on Short & Long Question Answers: रहीम के दोहे - Short & Long Answer Questions for Class 6

1. रहीम के दोहे क्या होते हैं और उनका महत्व क्या है?
Ans. रहीम के दोहे हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण भाग हैं। ये छोटे दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं, नैतिकता, और मानवता के संदेशों को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करते हैं। रहीम ने अपने दोहों में प्रेम, भक्ति, और मानव संबंधों पर जोर दिया है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
2. रहीम के किसी प्रसिद्ध दोहे का अर्थ बताएं।
Ans. एक प्रसिद्ध दोहा है: "रहीमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। तोड़ के फिर न जोड़े, जोड़ के फिर न तोड़ाय।" इसका अर्थ है कि प्रेम का बंधन बहुत नाजुक होता है, इसे तोड़ना आसान है लेकिन जोड़ना बहुत कठिन। यह दोहा संबंधों की अहमियत को दर्शाता है।
3. कक्षा 6 के छात्रों के लिए रहीम के दोहों का अध्ययन कैसे लाभदायक हो सकता है?
Ans. कक्षा 6 के छात्रों के लिए रहीम के दोहे अध्ययन से न केवल हिंदी भाषा में सुधार होता है, बल्कि ये छात्रों को नैतिक शिक्षा और जीवन के मूल्यों के बारे में भी जागरूक करते हैं। यह उनके साहित्यिक ज्ञान को बढ़ाने में भी मदद करता है।
4. क्या रहीम के दोहे केवल हिंदी में ही लिखे गए हैं?
Ans. हां, रहीम के दोहे मुख्यतः हिंदी में लिखे गए हैं, लेकिन उनके दोहे उर्दू और फारसी साहित्य पर भी प्रभाव डालते हैं। उनका काम हिंदी साहित्य में विशेष स्थान रखता है और इसे व्यापक रूप से पढ़ा और सराहा जाता है।
5. क्या रहीम के दोहे आज के समय में भी प्रासंगिक हैं?
Ans. हां, रहीम के दोहे आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। उनका संदेश, जैसे प्रेम, सहिष्णुता, और मानवता, आज भी समाज में महत्वपूर्ण हैं। लोग इन दोहों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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