समय: 1 घंटा
पूर्णांक: 30
सभी प्रश्नों का प्रयास करें।
प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 1 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 6 से 8 तक 2 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 9 से 11 तक 3 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न संख्या 12 और 13 तक 5 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
प्रश्न 1: खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक किस प्रकार की गतिविधियाँ होती हैं? (1 अंक)
(क) खेल का हिस्सा
(ख) खेल का नियम
(ग) खेल का अंत
(घ) खेल का अभ्यास
उत्तर: (क)
खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक खेल का हिस्सा हैं। ये घटनाएँ खेल के दौरान सामान्य होती हैं और खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा को दर्शाती हैं।
प्रश्न 2: 1933 में लेखक किस टीम की ओर से खेला करते थे? (1 अंक)
(क) भारतीय सेना
(ख) पंजाब रेजिमेंट
(ग) सैंपर्स एड माइनर्स
(घ) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
उत्तर: (ख)
लेखक 1933 में 'पंजाब रेजिमेंट' की ओर से खेला करते थे। इस समय उनकी खेल यात्रा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई।
प्रश्न 3: लेखक ने हॉकी स्टिक से सिर पर चोट लगने के बाद क्या कदम उठाए? (1 अंक)
(क) खेल छोड़ दिया
(ख) मैदान से बाहर चले गए
(ग) पट्टी बाँधकर लौट आए
(घ) खिलाड़ी को माफ किया
उत्तर: (ग)
लेखक ने हॉकी स्टिक से सिर पर चोट लगने के बाद पट्टी बाँधकर फिर से मैदान में लौट आए। यह उनके लिए एक सीखने का अनुभव था कि किसी भी स्थिति में हार मानना नहीं चाहिए।
प्रश्न 4: लेखक ने उस खिलाड़ी से क्या कहा जब वह उनके पास आया? (1 अंक)
(क) तुम बहुत अच्छे खिलाड़ी हो
(ख) इसका बदला मैं जरूर लूँगा
(ग) मुझे तुम्हारी मदद चाहिए
(घ) मैं तुम्हें हराऊँगा
उत्तर: (ख)
लेखक ने कहा, "इसका बदला मैं जरूर लूँगा।" यह संवाद खेल भावना और प्रतिस्पर्धा का परिचायक था, जिसमें उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को चुनौती दी।
प्रश्न 5: लेखक ने बर्लिन ओलंपिक में क्या हासिल किया ? (1 अंक)
(क) रजत पदक
(ख) कांस्य पदक
(ग) स्वर्ण पदक
(घ) कोई पदक नहीं
उत्तर: (ग)
लेखक ने बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी और उन्होंने इसे अपनी मेहनत और खेल भावना का परिणाम माना।
प्रश्न 6: लेखक की हॉकी खेलने की शुरुआत कैसे हुई और किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा? (2 अंक)
उत्तर: लेखक की हॉकी खेलने की शुरुआत 16 साल की उम्र में 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट' में भर्ती होने के बाद हुई। शुरुआत में उनकी खेल में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन रेजिमेंट के सिपाही तिवारी ने उन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने चुनौती का सामना किया क्योंकि वे एक नौसिखिया थे, लेकिन धीरे-धीरे नियमित अभ्यास से उनकी खेल क्षमता में सुधार हुआ।
प्रश्न 7: खेल भावना का लेखक के खेल पर क्या प्रभाव पड़ा और उन्होंने इसे कैसे समझा? (2 अंक)
उत्तर: लेखक की खेल भावना ने उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों का सम्मान करने और टीम के लिए खेलना सिखाया। उन्होंने समझा कि हार या जीत केवल उनकी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उनके देश की भी होती है। यह भावना उनके खेल को ऊँचाई पर ले गई और उन्होंने दूसरों को भी प्रेरित किया।
प्रश्न 8: लेखक ने अपने प्रतिद्वंद्वी को माफ करने का क्या तरीका अपनाया और यह उनके लिए क्यों महत्वपूर्ण था? (2 अंक)
उत्तर: लेखक ने खेल खत्म होने के बाद अपने प्रतिद्वंद्वी की पीठ थपथपाते हुए कहा कि "दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं।" उन्होंने यह दिखाया कि गुस्से के बजाय खेल भावना और सद्भावना का पालन करना ज़रूरी है। यह उनके लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने प्रतियोगिता के बावजूद खेल को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा।
प्रश्न 9: लेखक की सफलता का राज क्या है और वे इसे कैसे परिभाषित करते हैं? (3 अंक)
उत्तर: लेखक की सफलता का मुख्य रहस्य उनकी लगन, साधना और खेल भावना है। वे समझते हैं कि किसी भी खेल में, चाहे वह हॉकी हो या कोई और खेल, सफलता के लिए कठिन परिश्रम और पूर्ण समर्पण अत्यंत आवश्यक हैं। इसके अलावा, उन्होंने जीवन में भी इसी दृष्टिकोण को अपनाया, जिससे उन्हें न केवल खेल में बल्कि सामान्य जीवन में भी अनेक सफलताएँ मिलीं। उनके अनुसार, सही दृष्टिकोण और सकारात्मक सोच सफलता की कुंजी हैं।
प्रश्न 10: बर्लिन ओलंपिक में लेखक की भूमिका का क्या महत्व था और उन्होंने इसे कैसे निभाया? (3 अंक)
उत्तर: बर्लिन ओलंपिक में लेखक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि उन्होंने भारतीय टीम के लिए स्वर्ण पदक जीतने में मुख्य योगदान दिया। उन्होंने अपनी खेल कुशलता और टीम के प्रति समर्पण के जरिए न केवल व्यक्तिगत रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि अपने साथियों को भी उत्कृष्ट खेलने के लिए प्रेरित किया। उनकी टीमवर्क और खेल भावना ने उन्हें और उनकी टीम को विजयी बनाया।
प्रश्न 11: लेखक के अनुसार, खेल में गुस्सा क्यों नहीं होना चाहिए और यह खेल को कैसे प्रभावित करता है? (3 अंक)
उत्तर: लेखक के अनुसार, खेल में गुस्सा नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे खिलाड़ी का मन विचलित होता है और खेल की सुंदरता और मजा कम हो जाता है। गुस्से में खिलाड़ी अपनी सामर्थ्य और क्षमता का सही उपयोग नहीं कर पाते और खेल में हार का सामना कर सकते हैं। इसके विपरीत, खेल भावना का पालन करने से न केवल खुद का बल्कि सहखिलाड़ियों का भी सम्मान बढ़ता है, जिससे सभी खिलाड़ी खुशी और सामंजस्य के साथ खेल सकते हैं।
प्रश्न 12: लेखक ने हॉकी खेल में अपनी प्रगति कैसे की और इसके लिए उन्हें क्या रणनीतियाँ अपनानी पड़ीं? (5 अंक)
उत्तर: लेखक ने हॉकी खेल में अपनी प्रगति निरंतर अभ्यास और समर्पण के माध्यम से की। शुरुआती दौर में उन्होंने खेल की बारीकियों को समझने के लिए काफी समय व्यतीत किया और अपने खेल कौशल को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने टीम के साथ मिलकर अभ्यास सत्रों में भाग लिया, जिससे उनकी टीम वर्क की क्षमता में सुधार हुआ। उनकी रणनीतियों में सही समय पर सही जगह पर होने की कला शामिल थी, जिसे उन्होंने अपने कोचों और सीनियर खिलाड़ियों से सीखा। इसके अलावा, वे विपक्षी टीम के खेल पैटर्न का अध्ययन करते थे और उसके अनुसार अपनी रणनीति बनाते थे। उनकी ये रणनीतियाँ उन्हें बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में सहायक साबित हुईं, और उन्हें खेल की दुनिया में उच्च सम्मान प्राप्त हुआ।
प्रश्न 13: खेल के दौरान धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाओं के बारे में लेखक का दृष्टिकोण क्या है, और वे इसे कैसे देखते हैं? (5 अंक)
उत्तर: लेखक का मानना है कि खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक सामान्य हैं और ये खेल की प्रतिस्पर्धी प्रकृति का हिस्सा हैं। हालांकि, उनका यह भी विचार है कि खिलाड़ियों को इस दौरान अपने आप को नियंत्रित रखना चाहिए और गुस्से पर काबू पाना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि कैसे गुस्सा करने से न केवल खुद के खेल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह टीम के माहौल को भी प्रभावित करता है। इसलिए, उन्होंने हमेशा प्रयास किया कि वे खेल के दौरान सकारात्मक रहें और अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ सम्मान के साथ पेश आएं। उनका यह दृष्टिकोण उन्हें एक आदर्श खिलाड़ी बनाता है और यही वजह है कि वे अपने खेल और व्यवहार के लिए सम्मानित हैं।
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