Table of contents |
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लेखक परिचय |
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मुख्य विषय |
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कहानी का सार |
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कहानी की मुख्य घटनाएं |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दावली |
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निष्कर्ष |
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'परीक्षा' प्रेमचंद द्वारा रचित एक कहानी है, जो सच्चे नेतृत्व, विनम्रता और आंतरिक गुणों के महत्व पर आधारित है।। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि असली नेतृत्व बाहरी दिखावे या योग्यता में नहीं, बल्कि व्यक्ति के आंतरिक गुणों में निहित होता है। प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखक माने जाते हैं। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। अपने लेखन में उन्होंने समाज की कुरीतियों और सामाजिक विषमताओं को सरल भाषा में प्रस्तुत किया। उनकी कहानियाँ आम जनजीवन, गरीबी, समाज और जीवन की सच्चाइयों को सामने लाती हैं।
कहानी का मुख्य विषय समाज में सच्ची योग्यता और सेवा भावना की पहचान है। एक सच्चे और समझदार व्यक्ति की पहचान उसके कार्यों और दूसरों के प्रति सहानुभूति में निहित होती है। इस कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि पद या प्रतिष्ठा केवल योग्यता के आधार पर ही मिलने चाहिए, और जो सही मायनों में दयालु और सक्षम हैं, वही इस प्रकार के उच्च पद के हकदार होते हैं।
नए दीवान की नियुक्ति के लिए एक सार्वजनिक विज्ञापन जारी किया जाता है। इस विज्ञापन में स्पष्ट किया जाता है कि उम्मीदवार के लिए स्नातक होना आवश्यक नहीं है, लेकिन उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ, ईमानदार, और जिम्मेदार होना चाहिए। उम्मीदवारों को बताया जाता है कि उनकी योग्यता के साथ-साथ उनके चरित्र का भी परीक्षण किया जाएगा।
विज्ञापन के बाद, देशभर से कई उम्मीदवार दवेगढ़ में एकत्रित होते हैं। ये सभी अपने श्रेष्ठता और योग्यताओं को विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग अपने कपड़ों और फैशन से, जबकि कुछ अपने ज्ञान और समझ से, अपनी योग्यताओं को दिखाने का प्रयास करते हैं। उम्मीदवार इस सोच में होते हैं कि यदि वे बाहरी रूप से अच्छे दिखें और अपने व्यवहार में श्रेष्ठता दिखाएं, तो उन्हें दीवान के पद के लिए चुना जा सकता है।
कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब सभी उम्मीदवार एक खेल में व्यस्त होते हैं। उसी समय, एक गरीब किसान अपनी गाड़ी लेकर वहां से गुजरता है। दुर्भाग्यवश, उसकी गाड़ी कीचड़ में फंस जाती है और वह उसे बाहर निकालने में असमर्थ होता है। वह बार-बार प्रयास करता है, लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार जाती हैं। वह आसपास के लोगों से मदद की उम्मीद करता है, लेकिन सभी उम्मीदवार, जो अपनी छवि और प्रतिष्ठा को बनाए रखने में व्यस्त होते हैं, उसकी परेशानी को नजरअंदाज कर देते हैं।
उसी समय, एक युवक, जो खेल के दौरान घायल हो गया था, उस किसान की परेशानी को देखता है। उस युवक के अंदर करुणा और साहस का भाव उमड़ता है। वह बिना किसी हिचकिचाहट के किसान की मदद के लिए आगे बढ़ता है। वह अपने कपड़े उतारकर, पूरी ताकत से गाड़ी को धक्का देने लगता है। अंततः, उसकी मदद से किसान की गाड़ी कीचड़ से बाहर निकल जाती है।
इस घटना को गुप्त रूप से देख रहे दीवान सरदार सुजानसिंह, उस युवक की निःस्वार्थता और दयालुता से प्रभावित होते हैं। उन्हें एहसास होता है कि सच्चे नेतृत्व के लिए केवल बाहरी योग्यता नहीं, बल्कि आंतरिक गुण भी आवश्यक हैं। वह युवक, जिसने बिना किसी स्वार्थ के किसान की मदद की, उन्हें रियासत के दीवान के रूप में सही उम्मीदवार लगता है।
अंततः, दीवान साहब राजा के दरबार में सभी उम्मीदवारों के सामने उस युवक को नए दीवान के रूप में घोषित करते हैं। यह घोषणा अन्य उम्मीदवारों को चौंका देती है, क्योंकि वे समझ नहीं पाते कि केवल एक साधारण से दिखने वाले युवक को क्यों चुना गया। लेकिन दीवान साहब स्पष्ट करते हैं कि सच्चा नेता वही है, जिसमें करुणा, साहस, और निःस्वार्थ सेवा की भावना हो।
1. कहानी क्या है? | ![]() |
2. कहानी का सार क्या होता है? | ![]() |
3. कहानी से हमें कौन-कौन सी शिक्षाएं मिलती हैं? | ![]() |
4. कहानी के निष्कर्ष क्या होते हैं? | ![]() |
5. कक्षा 6 की परीक्षा में कहानी से संबंधित कौन-कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं? | ![]() |