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रहीम के दोहे Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6 PDF Download

कवि परिचय

रहीम भक्तिकाल के एक प्रसिद्ध कवि थे। माना जाता है कि उनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था। उन्होंने नीति, भक्ति और प्रेम संबंधी रचनाएँ कीं। रहीम ने अवधी और ब्रजभाषा, दोनों में कविताएँ लिखीं। वे रामायण, महाभारत आदि प्रसिद्ध ग्रंथों के अच्छे जानकार थे। उनकी मृत्यु 17वीं शताब्दी में हुई। आज भी उनके दोहे आम जन-जीवन में अत्यंत लोकप्रिय हैं।

रहीम के दोहे Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6

मुख्य विषय

कविता का मुख्य विषय जीवन के गुण और मूल्य हैं। रहीम ने अपने दोहों में प्रेम, सहनशीलता, विनम्रता, संतोष और जल के महत्व को समझाया है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि हमें जीवन में सद्गुणों को अपनाना चाहिए और दूसरों के प्रति विनम्र रहना चाहिए।

दोहे का सार

रहीम जी के दोहों में जीवन की महत्वपूर्ण वास्तविकताओं का सार प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह बताया कि बड़ों के साथ जुड़ने पर हमें छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर किसी का अपना महत्व होता है। जैसे प्रकृति बिना किसी स्वार्थ के सभी को लाभ देती है, वैसे ही मनुष्य का स्वभाव भी परोपकारी होना चाहिए। 

उन्होंने प्रेम संबंधों को कच्चे धागे से जोड़ा, यह बताते हुए कि यदि संबंध टूट जाएं, तो पुनः प्रयास करने पर भी मनमुटाव का असर रह जाता है। रहीम जी ने यह भी कहा कि पानी, चमक और सम्मान जीवन में सर्वोपरि हैं और हमें इनका सम्मान करना चाहिए। विपत्ति के समय ही हमें सच्चे मित्रों का पता चलता है, क्योंकि बहुत से लोग संपत्ति की स्थिति में हमारे मित्र बन जाते हैं, लेकिन सच्चे मित्र वही होते हैं जो कठिन समय में हमारे काम आते हैं। 

इसके अलावा, उन्होंने यह भी समझाया कि हमें अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी शब्दों के कारण हमारा काम बिगड़ सकता है। इन दोहों के माध्यम से रहीम जी ने जीवन के मूल्य और कठिनाइयों से उबरने की समझ दी है।

रहीम के दोहों का अर्थ और व्याख्या

(1)
रहीमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़े व्यक्ति या वस्तु को देखकर छोटे को नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि जहाँ सूई उपयोगी होती है, वहाँ तलवार व्यर्थ हो जाती है। अर्थात, छोटी चीज़ें भी अपने स्थान पर बहुत महत्वपूर्ण होती हैं।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम यह समझाते हैं कि हर व्यक्ति और वस्तु का अपना महत्व होता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। हमें किसी को तुच्छ समझकर अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी छोटी चीज़ें भी बड़े कार्य सिद्ध कर सकती हैं।

(2)
तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते और नदियाँ अपने पानी को नहीं पीतीं। रहीम कहते हैं कि सज्जन व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग भी दूसरों के कल्याण के लिए करते हैं।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम यह संदेश देते हैं कि सच्चे और अच्छे लोग वही हैं जो अपनी संपत्ति और संसाधनों का उपयोग समाज और दूसरों के भले के लिए करते हैं, जैसे पेड़ और नदियाँ भी दूसरों के लाभ के लिए होते हैं।

(3)
रहीमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥

अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का धागा इतना नाजुक होता है कि इसे झटका देकर मत तोड़ो। क्योंकि एक बार टूटने के बाद यह दुबारा नहीं जुड़ता और यदि जुड़ भी जाए, तो उसमें गाँठ पड़ जाती है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम समझाते हैं कि रिश्ते और प्रेम बहुत नाजुक होते हैं। अगर इन्हें तोड़ दिया जाए, तो वे दोबारा उसी रूप में नहीं आते। अगर जुड़ते भी हैं तो उनमें दूरी और कड़वाहट की गाँठ पड़ जाती है।

(4)
रहीमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥

अर्थ: रहीम कहते हैं कि जीवन में पानी (जल) को संभाल कर रखना चाहिए, क्योंकि बिना पानी के सब कुछ सूना हो जाता है। यदि पानी चला गया, तो न मोती का अस्तित्व रहेगा, न मनुष्य का, न ही चूने का।

व्याख्या: इस दोहे में पानी को जीवन का प्रतीक माना गया है। जैसे पानी के बिना जीवन संभव नहीं, वैसे ही हमें अपने जीवन में नैतिकता, आत्म-सम्मान और रिश्तों का ख्याल रखना चाहिए। अगर ये एक बार खो जाएँ, तो फिर उन्हें वापस पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

(5)
रहीमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

अर्थ: रहीम कहते हैं कि थोड़े समय की विपत्ति (कठिनाई) अच्छी होती है, क्योंकि उससे हमें अपने मित्र और शत्रु की पहचान हो जाती है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम समझाते हैं कि कभी-कभी कठिन समय भी अच्छा होता है क्योंकि इसी दौरान हमें यह समझ में आता है कि कौन हमारा सच्चा मित्र है और कौन नहीं। कठिनाइयाँ हमारे जीवन में अनुभव और समझदारी लाती हैं।

(6)
रहीमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल॥

अर्थ: रहीम कहते हैं कि जीभ (वाणी) ऐसी बावरी होती है जो बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है, जिससे वह स्वर्ग और पाताल का सफर कर जाती है। परंतु बाद में जब नुकसान होता है, तो वह खुद अंदर छुप जाती है और उसका दंड व्यक्ति को भुगतना पड़ता है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम यह समझाते हैं कि बिना सोचे-समझे बोले गए शब्द बहुत हानि पहुँचाते हैं। इसलिए हमें अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि इसके गलत उपयोग से हमें ही नुकसान होता है।

(7)
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत॥

अर्थ: रहीम कहते हैं कि संपत्ति (संपन्नता) में तो कई लोग मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मित्र विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरे, वही सच्चा मित्र होता है।

व्याख्या: इस दोहे में रहीम समझाते हैं कि सच्चे मित्र की पहचान सुख के समय नहीं, बल्कि कठिनाइयों के समय होती है। जो मित्र हमारे साथ बुरे वक्त में खड़ा रहे, वही सच्चा मित्र है।

दोहे से शिक्षा

रहीम के दोहों से यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर व्यक्ति और वस्तु का सम्मान करना चाहिए, सच्चे मित्र वही होते हैं जो कठिन समय में साथ देते हैं, प्रेम संबंधों को संभालकर रखना चाहिए, और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसके अलावा, विपत्ति के समय हमें अपने सच्चे मित्रों की पहचान होती है और हमें परोपकारिता की भावना से जीना चाहिए।

शब्दावली

  • लघु: छोटा
  • तलवारि: तलवार
  • सरवर: तालाब
  • काज: कार्य
  • संपति: संपत्ति
  • धागा: धागा
  • छिटकाय: टूटना
  • जिह्वा: जीभ
  • बावरी: पागल
  • सरग: स्वर्ग
  • पताल: पाताल
  • सगे: संबंधी
  • बिपति: विपत्ति
  • कसौटी: परीक्षा
  • साँचे: सच्चे

निष्कर्ष

रहीम के दोहे जीवन के गूढ़ और महत्वपूर्ण संदेशों को सरल और संक्षिप्त शब्दों में प्रस्तुत करते हैं। ये दोहे हमें नैतिकता, प्रेम, मित्रता और जीवन की सच्ची पहचान सिखाते हैं। रहीम का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। इन दोहों से हमें जीवन के हर पहलू को समझने और उसे सही दिशा में जीने की प्रेरणा मिलती है।

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FAQs on रहीम के दोहे Chapter Notes - Chapter Notes For Class 6

1. रहीम के दोहे क्या होते हैं और इनमें क्या विशेषता होती है ?
Ans. रहीम के दोहे हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण काव्य रचनाएँ हैं, जो दो पंक्तियों में गहरी बातों को सरलता से प्रस्तुत करते हैं। इनमें जीवन के अनुभव, नैतिक शिक्षा, और मानवता के मूल्यों का समावेश होता है। रहीम के दोहे आमतौर पर सरल भाषा में होते हैं, जिससे हर कोई आसानी से समझ सकता है।
2. 'रहीम के दोहे' का क्या महत्व है ?
Ans. 'रहीम के दोहे' का महत्व इसलिए है क्योंकि ये केवल काव्य नहीं, बल्कि जीवन के प्रति दृष्टिकोण को भी दर्शाते हैं। इन दोहों में जीवन की सच्चाइयाँ, प्रेम, दोस्ती, और मानवता के मूल सिद्धांतों को समझाया गया है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
3. क्या रहीम के दोहे केवल कविता तक सीमित हैं, या इनमें कुछ और भी है ?
Ans. नहीं, रहीम के दोहे केवल कविता तक सीमित नहीं हैं। ये जीवन की गहरी बातें, नैतिक शिक्षा और सामाजिक मूल्यों का भी संदर्भ देते हैं। इनका उपयोग शिक्षा, प्रेरणा और चिंतन के लिए किया जाता है।
4. क्या हम आज के जीवन में रहीम के दोहों का उपयोग कर सकते हैं ?
Ans. हाँ, आज के जीवन में भी हम रहीम के दोहों का उपयोग कर सकते हैं। ये हमें नैतिकता, सहानुभूति और दया की शिक्षा देते हैं, जो आधुनिक समाज में भी आवश्यक हैं। इनके संदेश आज भी प्रेरक हैं और व्यवहारिक जीवन में लागू किए जा सकते हैं।
5. रहीम के दोहे किस प्रकार की भावनाएँ व्यक्त करते हैं ?
Ans. रहीम के दोहे विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जैसे प्रेम, करुणा, मित्रता, और जीवन के कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा। ये दोहे मानव जीवन की जटिलताओं को सरलता से समझाते हैं और सकारात्मकता का संचार करते हैं।
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