अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए –
(1) चतेक शत्रुओं की सेना पर किस प्रकार टूट पड़ता था?
उत्तर: चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था। (★)
(2) 'लेकर सवार उड़ जाता था।' इस पंक्ति में 'सवार' शब्द किसके लिए आया है?
उत्तर: महाराणा प्रताप (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर: महाराणा प्रताप का घोड़ा बहुत होशियार था। महाराणा प्रताप ने उसे कभी कोड़े नहीं मारे, क्योंकि वह हर वार से महाराणा प्रताप को बचा लेता था। वह इतनी तेजी से अपने शत्रु पर टूट पड़ता, जैसे हाथियों का दल बादल की तरह सब पर टूट पड़ता हो। 'सवार' का अर्थ है किसी की सवारी करना, किसी को अपनी पीठ पर बैठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना। इसी तरह चेतक महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाता था।
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा मे अपने विचार साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका मे लिखीए।
(क) “निर्भीक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।”
उत्तर: चेतक शत्रु सेना में बिना डरे चला जाता था। उसे किसी का भी डर नहीं लगता था। अनगिनत भालों के बीच भी वह चला जाता था। वह सर्प की तरह एक जगह से दूसरी जगह चला जाता था। शत्रु सेना से उसे बिल्कुल भी भय नहीं लगता था।
(ख) “भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय-टापों से खन गया अंग।”
उत्तर: जब महाराणा प्रताप के हाथ से भाला गिर गया, तो राणा प्रताप निशस्त्र हो गए। यह बात चेतक के समझ में आ गई, और फिर वह हवा की तरह दौड़ने लगा। शत्रु सेना भी यह नहीं समझ पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। चेतक का एकमात्र उद्देश्य राणा प्रताप के प्राणों की रक्षा करना था।
यह कविता 'हल्दीघाटी' शीर्षक काव्य कृति का एक अंश है। यहाँ इसका शीर्षक 'चेतक की वीरता' दिया गया है। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: हाँ! यह कविता ‘हल्दीघाटी’ काव्यकृति का एक अंश है और इसका शीर्षक ‘चेतक की वीरता’ बिल्कुल सटीक है, क्योंकि इसमें चेतक के शौर्य, फुर्तीलेपन और समझदारी का वर्णन किया गया है। फिर भी, यदि कोई और शीर्षक दिया जाए, तो वह चेतक के बिना अधूरा सा लगेगा। 'महाराणा प्रताप और चेतक' इस शीर्षक का स्थान ले सकता है।
“चेतक बन गया निराला था।”
“पड़ गया हवा को पाला था।”
“राणा प्रताप का कोड़ा था । ”
” या आसमान पर घोड़ा था । ”
रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये शब्द बोलने-लिखने में थोड़े मिलते-जुलते हैं। इस तरह की तुकांत शैली प्रायः कविता में आती है। कभी-कभी कविता अतुकांत भी होती है। इस कविता में आए तुकांत शब्दों की सूची बनाइए ।
उत्तर: उड़ / मुड़ चालों / भालों ढ़ालों / करवालों यहाँ / वहाँ जहाँ / कहाँ लहर / ठहर निषंग / अंग दंग / रंग ।
“या आसमान का घोड़ा था । ”
‘आसमान’ शब्द के भीतर कौन-कौन से शब्द छिपे हैं-
आस, समान, मान, सम, आन, नस आदि ।
अब इसी प्रकार कविता में से कोई पाँच शब्द चुनकर उनके भीतर के शब्द खोजिए।
उत्तर:
“जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।”
(क) ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ कविता को प्रभावशाली बनाने में इस तरह के प्रयोग काम आते हैं। कविता में आए ऐसे प्रयोग खोजकर परस्पर बातचीत करें।
उत्तर: ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ जैसे प्रयोग कविता को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। ये घोड़े की गति और शक्ति को दर्शाते हैं, जिससे कविता और भी जीवंत लगती है।
(ख) कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। इस पर आपस में बात कीजिए।
उत्तर: "कहीं भी, किसी भी प्रकार का युद्ध नहीं होना चाहिए। कोई भी युद्ध, चाहे वह वाक्-युद्ध हो या बाण-युद्ध, केवल विनाश ही लाता है। इससे हानि केवल किसी एक पक्ष को ही नहीं होती, बल्कि दोनों ही पक्षों को नुकसान उठाना पड़ता है। हार हो या जीत, किसी को कम तो किसी को अधिक नुकसान अवश्य होता है। इससे संबंधों में कड़वाहट आ जाती है और समाज तथा देश बिखर जाते हैं। इसका लाभ नकारात्मक शक्तियों को मिलता है, जिससे विकास रुक जाता है।
सामरिक युद्ध में प्रयुक्त होने वाले हथियार इतने विनाशकारी होते हैं कि उनका प्रयोग पूरी मानव जाति के लिए खतरा बन सकता है। मानव समाज के ताने-बाने को बचाने के लिए समस्याओं का समाधान आपसी बातचीत से करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता।"
कुछ शब्द समान अर्थ वाले होते हैं, जैसे— हय, अश्व और घोड़ा। इन्हें समानार्थी शब्द कहते हैं। मल्हार यहाँ पर दिए गए शब्दों से उस शब्द पर घेरा बनाइए जो समानार्थी न हों—
उत्तर:
बूझो तो जानें
तीन अक्षर का मेरा नाम, उल्टा सीधा एक समान ।
दिन में जगता, रात में सोता, यही मेरी पहचान।।
उत्तर: जलज |
एक पक्षी ऐसा अलबेला, बिना पंख उड़ रहा अकेला।
बाँध गले में लंबी डोर, पकड़ रहा अंबर का छोर ।
उत्तर: पतंग |
रात में हूँ दिन में नहीं, दीये के नीचे हूँ ऊपर नहीं
बोलो बोलो – मैं हूँ कौन?
उत्तर: अंधेरा |
मुझमें समाया फल, फूल और मिठाई
सबके मुँह में आया पानी मेरे भाई।
उत्तर: गुलाबजामुन ।
सड़क है पर गाड़ी नहीं, जंगल है पर पेड़ नहीं
शहर है पर घर नहीं, समंदर है पर पानी नहीं।
उत्तर: मानचित्र |
प्रश्न 1: महाराणा प्रताप कौन थे? उनके बारे में इंटरनेट या पुस्तकालय से जानकारी प्राप्त करके लिखिए ।
उत्तर: महाराणा प्रताप मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा थे। उनका जन्म 9 मई 1540 को उदय सिंह द्वितीय और जयवंताबाई के घर हुआ था। उनके छोटे भाई शक्ति सिंह और जगमाल सिंह थे। महाराणा प्रताप का विवाह बिजोलिया की अजबदे पंवार से हुआ था।
1572 में उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद मेवाड़ की गद्दी को लेकर कुछ समय तक विवाद चला। महाराणा प्रताप के अन्य सौतेले भाई भी गद्दी के दावेदार थे। हालांकि, उनके पिता के दरबार के वरिष्ठ रईस चाहते थे कि प्रताप ही राजगद्दी संभालें, क्योंकि वे उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे। इस प्रकार, 1 मार्च 1572 को, 32 वर्ष की आयु में, महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक बने।
उदय सिंह द्वितीय के शासनकाल में मेवाड़ का उपजाऊ पूर्वी भाग मुगल साम्राज्य ने अपने अधीन कर लिया था, जबकि पश्चिमी भाग सिसोदिया राजपूतों के पास था। 1572 में ही मुगल सम्राट अकबर ने महाराणा प्रताप को मुगल साम्राज्य का जागीरदार बनाने के लिए कई प्रयास किए। उस क्षेत्र के अन्य राजपूत राजाओं ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी, लेकिन महाराणा प्रताप ने व्यक्तिगत रूप से अकबर के सामने समर्पण करने से इनकार कर दिया। इस कारण युद्ध अवश्यंभावी था।
हल्दीघाटी के संकरे पहाड़ी दर्रे में हुए पहले युद्ध में हारकर महाराणा प्रताप को पीछे हटना पड़ा, लेकिन यह मुगलों के लिए पूर्ण विजय नहीं थी, क्योंकि वे प्रताप या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को पकड़ नहीं पाए थे।
1582 में महाराणा प्रताप ने मुगलों पर हमला करके देवर की मुगल चौकी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन्होंने उमलगढ़, उदयपुर और गोगुंदा को पुनः प्राप्त किया और चावंड को अपनी नई राजधानी बनाया।
महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को 56 वर्ष की आयु में हुआ। उनका मुगल साम्राज्य के खिलाफ लगभग अकेले संघर्ष करना, बिना किसी अन्य राजपूत राज्य की सहायता के, राजपूत वीरता का एक अद्वितीय उदाहरण है। उनकी गुरिल्ला युद्ध रणनीति का अनुकरण बाद में छत्रपति शिवाजी ने भी किया।
प्रश्न 2: इस कविता में चेतक एक ‘घोड़ा’ है। पशु-पक्षियों पर आधारित पाँच रचनाओं को खोजिए और अपनी कक्षा की दीवार पत्रिका पर लगाइए ।
उत्तर: नीलकंठ, गौरा, गिल्लू, वह चिड़िया जो, चालाक लोमड़ी।
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1. चेतक कौन था और उसकी वीरता का क्या महत्व है? | ![]() |
2. हल्दीघाटी की लड़ाई कब हुई थी और इसका क्या परिणाम था? | ![]() |
3. चेतक की वीरता से हम क्या सीख सकते हैं? | ![]() |
4. चेतक की कहानी का साहित्य में क्या स्थान है? | ![]() |
5. क्या चेतक की वीरता को लेकर कोई विशेष महाकाव्य या कविता लिखी गई है? | ![]() |