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मातृभूमि Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6 PDF Download

कवि परिचय

सोहनलाल द्विवेदी एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिनकी कविताएँ देशप्रेम और समाजसेवा के भाव से भरी हुई थीं। उनका जन्म 1906 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी कविताएँ सरल भाषा में लिखी गई थीं, लेकिन वे गहरे विचार और प्रेरणा का स्रोत थीं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने कविताओं के माध्यम से लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई।
मातृभूमि Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6

मुख्य विषय

कविता का मुख्य विषय भारत के प्रति प्रेम और गर्व है। इसमें मातृभूमि की महिमा का वर्णन किया गया है और भारत के प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थलों, और वीरता को प्रदर्शित किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह कविता भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी सम्मान बढ़ाती है।

कविता का सार

कवि सोहनलाल द्विवेदी ने "मातृभूमि" कविता में भारत के प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि भारत का हिमालय पर्वत आकाश को छूने जैसी ऊँचाई तक फैला है, जो भारत के गौरव का प्रतीक है। भारत के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर भारत माँ के चरणों को स्पर्श करता है। इस देश में गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियाँ एक साथ मिलती हैं, और यहाँ का अद्भुत सौंदर्य चारों ओर फैला हुआ है। 

मातृभूमि Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6

कवि को भारत की भूमि पवित्र और स्वर्णिम प्रतीत होती है, और वे अपनी मातृभूमि पर गर्व महसूस करते हैं। भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में झरने और हरे-भरे वनों में चिड़ियों की चहचहाहट वातावरण को सुंदर बनाती है। यहाँ के आम के बगीचों में वसंत ऋतु में कोयल की मीठी कूक सुनाई देती है। भारत की शीतल और शुद्ध हवा सभी प्राणियों को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करती है।

भारत में अनेक धर्मों की स्थापना हुई है, जिससे जीवन के मूल्य और आदर्श सामने आए। यह भूमि मर्यादा पुरुषोत्तम राम, सीता माता, श्री कृष्ण और गौतम बुद्ध जैसी महान हस्तियों की जन्मभूमि है, जिन्होंने अपने कार्यों से जीवन के महान संदेश दिए। कवि इस पवित्र भूमि पर गर्व करते हैं और इसे अपनी मातृभूमि मानते हैं।

कविता की व्याख्या

(1)
ऊँचा खड़ा हिमालय,
आकाश चमकता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।

व्याख्या: हिमालय पर्वत ऊँचा और भव्य खड़ा है, जैसे आकाश को छू रहा हो। उसके नीचे, नदियाँ (सिंधु) रोज़ खुशी से झूमती रहती हैं, मानो पर्वत के चरणों में झुक रही हों।

(2)
गंगा यमुना त्रिवेणी,
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,
पग पग छहर रही हैं।

व्याख्या: गंगा, यमुना और सरस्वती (त्रिवेणी) नदियाँ अपने किनारों पर लहराते हुए बहती हैं। इन नदियों का संगम और प्राकृतिक सुंदरता हर जगह फैलती जाती है, जिससे धरती की शोभा बढ़ जाती है।

मातृभूमि Chapter Notes | Chapter Notes For Class 6

(3)
वह पुण्य-भूमि मेरी,
वह स्वर्ण-भूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी।

व्याख्या: कवि अपनी भूमि को पुण्य और स्वर्णिम बताते हैं। यह वह भूमि है जहाँ कवि का जन्म हुआ है, और यही उनकी मातृभूमि है, जिसे वे गर्व से अपना कहते हैं।

(4)
झरने अनेक झरते,
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।

व्याख्या: कवि उस भूमि की सुंदरता का वर्णन करते हैं, जहाँ की पहाड़ियों से कई झरने बहते हैं और झाड़ियों में चिड़ियाँ मस्ती में चहकती रहती हैं।

(5)
अमराइयाँ घनी हैं,
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।

व्याख्या: इस भूमि में घने आम के बगीचे (अमराइयाँ) हैं, जहाँ कोयल अपनी मधुर आवाज़ में गाती है। यहाँ की ठंडी और सुगंधित हवा शरीर और मन को ताजगी प्रदान करती है।

(6)
वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी।

व्याख्या: कवि अपनी भूमि को धर्म और कर्म की भूमि बताते हैं। यह भूमि कवि की जन्मभूमि और मातृभूमि है, जिससे उनका गहरा संबंध है।

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(7)
जन्मे जहाँ थे रघुपति,
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पवित्र गीता।

व्याख्या: यह वही भूमि है जहाँ भगवान राम (रघुपति) और माता सीता का जन्म हुआ था। यही भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था।

​(8)
गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।

व्याख्या: इस भूमि पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने करुणा और दया के उपदेश से पूरी दुनिया को शिक्षित किया और सही मार्ग दिखाया।

(9)
वह युद्धभूमि मेरी,
वह बुद्धभूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी।

व्याख्या: कवि बताते हैं कि यह भूमि युद्ध भूमि भी है, जहाँ कई महायुद्ध लड़े गए, और बुद्ध भूमि भी है, जहाँ शांति और ज्ञान का प्रसार हुआ। यही कवि की मातृभूमि और जन्मभूमि है, जिसे वे गर्व से अपनाते हैं।

कविता की मुख्य घटनाएं

  • हिमालय और नदियों का भव्य वर्णन।
  • भारत की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली का चित्रण।
  • गंगा, यमुना और त्रिवेणी संगम की महिमा।
  • भारत को पुण्यभूमि और स्वर्णभूमि बताया गया।
  • झरनों, चिड़ियों और मलय पवन की सुगंध का उल्लेख।
  • राम, सीता, श्रीकृष्ण और गौतम बुद्ध की जन्मभूमि।
  • भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता का उपदेश।
  • गौतम बुद्ध द्वारा दया और शांति का प्रसार।
  • भारत को युद्धभूमि और बुद्धभूमि बताया गया।

कविता से शिक्षा

इस कविता से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपनी मातृभूमि पर गर्व करना चाहिए और उसकी महिमा को समझना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति, धर्म और प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। कविता यह भी बताती है कि महान व्यक्तित्वों के जन्म से देश को दिशा मिलती है, और हमें उनके योगदान को याद रखते हुए समाज और देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए।

शब्दार्थ

  • हिमालय: उत्तर भारत का विशाल पर्वत श्रृंखला
  • सिंधु: एक पवित्र नदी, जिसे आजकल 'इंडस' कहा जाता है
  • त्रिवेणी: वह स्थान जहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं (गंगा, यमुना, सरस्वती)
  • छटा: सुंदर दृश्य
  • पुण्य-भूमि: पवित्र भूमि
  • स्वर्ण-भूमि: सुनहरी भूमि
  • अमराइयाँ: आम के पेड़ों का समूह
  • मलय पवन: दक्षिण से बहने वाली सुगंधित हवा
  • तन-मन: शरीर और मन
  • रघुपति: भगवान राम का दूसरा नाम
  • सीता: राम की पत्नी और एक पवित्र नारी
  • श्रीकृष्ण: महाभारत के मुख्य पात्र और भगवान
  • वंशी: बाँसुरी
  • गीता: श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश
  • गौतम: भगवान बुद्ध
  • सुयश: अच्छा यश
  • दया: करुणा
  • दिखाया: मार्गदर्शन किया

निष्कर्ष

कविता भारत के प्रति कवि के अपार प्रेम और गर्व को व्यक्त करती है। वह अपनी मातृभूमि को पुण्य, स्वर्ण, और गौरव का प्रतीक मानते हैं और इसके प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करते हैं। कविता हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अपनी मातृभूमि और संस्कृति के महत्व को समझते हुए उसकी रक्षा और सम्मान करना चाहिए।

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FAQs on मातृभूमि Chapter Notes - Chapter Notes For Class 6

1. मातृभूमि कविता का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. मातृभूमि कविता का मुख्य विषय देशप्रेम और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा है। यह कविता हमें अपने देश की महिमा और उसकी रक्षा करने की प्रेरणा देती है।
2. इस कविता में कवि ने मातृभूमि का वर्णन कैसे किया है ?
Ans. कवि ने मातृभूमि का वर्णन अत्यंत भावुकता और आदर के साथ किया है। उन्होंने उसकी सुंदरता, महानता और उसकी रक्षा के लिए बलिदान देने की आवश्यकता को उजागर किया है।
3. 'मातृभूमि' कविता से हमें क्या सीखने को मिलता है ?
Ans. 'मातृभूमि' कविता से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपने देश के प्रति हमेशा समर्पित रहना चाहिए और उसकी रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। यह हमें मातृभूमि के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराती है।
4. मातृभूमि कविता में कौन से प्रमुख भावनाएँ व्यक्त की गई हैं ?
Ans. मातृभूमि कविता में प्रेम, सम्मान, गर्व और बलिदान की भावनाएँ व्यक्त की गई हैं। कवि ने अपने देश के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को शब्दों में पिरोया है।
5. क्या मातृभूमि कविता का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है ?
Ans. हाँ, मातृभूमि कविता में ऐतिहासिक संदर्भ भी है। यह कविता उन बलिदानियों को याद करती है जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। यह हमें अपने इतिहास को समझने और उसकी कद्र करने की प्रेरणा देती है।
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