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कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT PDF Download

पाठ से

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

(1) "गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।" इस दोहे में किसके विषय में बताया गया है?

  • श्रम का महत्व
  • गुरु का महत्व *
  • ज्ञान का महत्व 
  • भक्ति का महत्व

उत्तर: गुरु का महत्व
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि गुरु और भगवान दोनों सामने हों तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि गुरु ही हमें भगवान का रास्ता दिखाते हैं। इसलिए, इस दोहे का मुख्य विषय "गुरु का महत्व" है।

(2) "अति का भला न बोलना अति का भला न चूप। अति का भला न बरसना अति की भली न धूप।।" इस दोहे का मूल संदेश क्या है?

  • हमेशा चुप रहने में ही हमारी भलाई है
  • बारिश और धूप से बचना चाहिए
  • हर परिस्थिति में संतुलन होना आवश्यक है *
  • हमेशा मधुर वाणी बोलनी चाहिए

उत्तर: हर परिस्थिति में संतुलन होना आवश्यक है
कबीर इस दोहे में बताते हैं कि किसी भी चीज की अधिकता (जैसे ज्यादा बोलना, चुप रहना, बारिश या धूप) हानिकारक होती है। इसलिए, जीवन में हर चीज में संतुलन रखना जरूरी है।

(3) "बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर।।" यह दोहा किस जीवन कौशल को विकसित करने पर बल देता है?

  • समय का सदुपयोग करना
  • दूसरों के काम आना *
  • परिश्रम और लगन से काम करना
  • सभी के प्रति उदार रहना

उत्तर: दूसरों के काम आना
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि केवल बड़ा होना काफी नहीं है, जैसे खजूर का पेड़ ऊँचा तो है, लेकिन न छाया देता है न फल आसानी से मिलता है। इसका मतलब है कि हमें दूसरों की मदद करने वाला बनना चाहिए।

(4) ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोया औरन को सीतल करें आपहुँ सीतल होय।।" इस दोहे के अनुसार मधुर वाणी बोलने का सबसे बड़ा लाभ क्या है?

  • लोग हमारी प्रशंसा और सम्मान करने लगते हैं
  • दूसरों और स्वयं को मानसिक शांति मिलती है *
  • किसी से विवाद होने पर उसमें जीत हासिल होती है
  • सुनने वालों का मन इधर-उधर भटकने लगता है

उत्तर: दूसरों और स्वयं को मानसिक शांति मिलती है
कबीर कहते हैं कि हमें ऐसी बातें बोलनी चाहिए जो घमंड रहित हों और दूसरों को शांति दें। इससे न केवल सुनने वालों को, बल्कि हमें भी मानसिक शांति मिलती है।

(5) 'साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पापा जाके हिरदे साँच है ता हिरदे गुरु आप।।" इस दोहे से क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

  • सत्य और झूठ में झूठ में कोई अंतर नहीं होता है
  • सत्य का पालन करना किसी साधना से कम नहीं है *
  • बाहरी परिस्थितियाँ ही जीवन में सफलता तय करती हैं
  • सत्य महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है जिससे हृदय प्रकाशित होता है *

उत्तर: सत्य का पालन करना किसी साधना से कम नहीं है, सत्य महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है जिससे हृदय प्रकाशित होता है
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि सच्चाई सबसे बड़ी साधना है और झूठ सबसे बड़ा पाप। जो सत्य बोलता है, उसके हृदय में सच्चा ज्ञान और गुरु का वास होता है। इसलिए, "सत्य का पालन करना किसी साधना से कम नहीं" और "सत्य महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है" दोनों सही हैं।

(6) "निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना निर्मल करै सुभाय ।।" यहाँ जीवन में किस दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी गई है?

  • आलोचना से बचना चाहिए
  • आलोचकों को दूर रखना चाहिए
  • आलोचकों को पास रखना चाहिए *
  • आलोचकों की निंदा करनी चाहिए

उत्तर: आलोचकों को पास रखना चाहिए
कबीर कहते हैं कि जो हमारी आलोचना करता है, उसे पास रखना चाहिए, क्योंकि वह हमारी गलतियाँ बताकर हमें सुधारने में मदद करता है। यह बिना किसी खर्च के हमारे स्वभाव को साफ करता है।

(7) "साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहे थोथा देइ उड़ाय।।" इस दोहे में 'सूप' किसका प्रतीक है?

  • मन की कल्पनाओं का
  • मुख-सुविधाओं का
  • विवेक और सूझबूझ का *
  • कठोर और क्रोधी स्वभाव का

उत्तर: विवेक और सूझबूझ का
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि साधु को सूप की तरह होना चाहिए, जो अच्छे दानों को रखता है और भूसी को उड़ा देता है। यहाँ सूप "विवेक और सूझबूझ" का प्रतीक है, जो अच्छे गुणों को अपनाने और बुरे को छोड़ने की क्षमता को दर्शाता है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: हमने अपने दोस्तों से चर्चा की और पाया कि हमने जो उत्तर चुने हैं, वे इन कारणों से सही हैं:

  1. गुरु का महत्व वाला उत्तर इसलिए चुना क्योंकि बिना गुरु के हम भगवान के बारे में नहीं जान सकते।
  2. हर परिस्थिति में संतुलन होना आवश्यक है इसलिए सही है क्योंकि किसी भी चीज़ की अधिकता बुरी होती है।
  3. दूसरों के काम आना वाला उत्तर इसलिए सही है क्योंकि केवल ऊँचा पद पाना काफी नहीं, बल्कि समाज के लिए उपयोगी होना जरूरी है।
  4. दूसरों और स्वयं को मानसिक शांति मिलती है इसलिए सही है क्योंकि मधुर वाणी सबको खुश और शांत रखती है।
  5. सत्य का पालन करना किसी साधना से कम नहीं है सही है क्योंकि सच बोलना सबसे बड़ा धर्म है और यह हमें अच्छा इंसान बनाता है।
  6. सत्य महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है जिससे हृदय प्रकाशित होता है सही है क्योंकि सच्चाई अपनाने से मन में ज्ञान और पवित्रता आती है।
  7. आलोचकों को पास रखना चाहिए इसलिए सही है क्योंकि वे हमारी गलतियाँ बताकर हमें सुधारते हैं।
  8. विवेक और सूझबूझ सही है क्योंकि जैसे सूप अच्छा रखकर बुरा अलग कर देता है, वैसे ही हमें भी अच्छी बातें अपनानी चाहिए और बुरी छोड़नी चाहिए।

मिलकर करें मिलान

(क) पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें स्तंभ 2 में दिए गए इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: 
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(ख) नीचे स्तंभ 1 में दी गई दोहों की पंक्तियों को स्तंभ 2 में दी गई उपयुक्त पंक्तियों से जोड़िए-

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पंक्तियों पर चर्चा

पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “कबिरा मन पंछी भया भावै तहवाँ जाय। 
जो जैसी संगति करै सो तैसा फल पाय।”
उत्तर: अर्थ:
कबीर कहते हैं कि मन एक पक्षी की तरह है, जो कहीं भी उड़ सकता है। लेकिन जैसी संगति (साथ) में रहता है, वैसा ही परिणाम मिलता है। अगर अच्छे लोगों के साथ रहें, तो अच्छे विचार और फल मिलते हैं। अगर बुरी संगति करें, तो बुरे परिणाम मिलते हैं।
उदाहरण: अगर कोई बच्चा मेहनती दोस्तों के साथ पढ़ता है, तो वह भी मेहनत करता है। लेकिन अगर वह आलसी लोगों के साथ रहे, तो वह आलसी बन सकता है।

(ख) “साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप। 
जाके हिरदे साँच है ता हिरदे गुरु आप।”
उत्तर: अर्थ: 
कबीर कहते हैं कि सच्चाई सबसे बड़ी पूजा है और झूठ सबसे बड़ा पाप। जिसके दिल में सच्चाई होती है, उसे सच्चा ज्ञान अपने आप मिल जाता है।
उदाहरण: अगर कोई सच बोलता है, तो लोग उस पर भरोसा करते हैं, और उसका मन शांत रहता है। लेकिन झूठ बोलने से विश्वास टूटता है और मन बेचैन रहता है।

सोच-विचार के लिए

पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय।” इस दोहे में गुरु को गोविंद (ईश्वर) से भी ऊपर स्थान दिया गया है। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: 
हाँ, मैं इससे सहमत हूँ। गुरु हमें सही रास्ता दिखाते हैं और भगवान तक पहुँचने का मार्ग बताते हैं। बिना गुरु के हम भगवान को नहीं समझ सकते। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक हमें पढ़ाकर अच्छा इंसान बनाता है, जो हमें सही और गलत का ज्ञान देता है। इसलिए गुरु का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है।

(ख) “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।" इस दोहे में कहा गया है कि सिर्फ बड़ा या संपन्न होना ही पर्याप्त नहीं है। बड़े या संपन्न होने के साथ-साथ मनुष्य में और कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए? अपने विचार साझा कीजिए।

उत्तर: सिर्फ बड़ा या अमीर होना ही काफी नहीं है। इंसान में दूसरों की मदद करने की भावना, दयालुता, और नम्रता होनी चाहिए। जैसे, अगर कोई धनी है, लेकिन दूसरों की मदद नहीं करता, तो उसका बड़ा होना बेकार है। एक अच्छा इंसान वही है जो दूसरों के लिए छाया और फल की तरह काम आए। उदाहरण: एक अमीर व्यक्ति स्कूल बनवाकर बच्चों को पढ़ने में मदद करता है, तो वह सही मायने में बड़ा है।

(ग) “ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।” क्या आप मानते हैं कि शब्दों का प्रभाव केवल दूसरों पर ही नहीं स्वयं पर भी पड़ता है? आपके बोले गए शब्दों ने आपके या किसी अन्य के स्वभाव या मनोदशा को कैसे परिवर्तित किया? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर: हाँ, शब्दों का प्रभाव दूसरों और खुद पर भी पड़ता है। अगर हम अच्छे और शांत शब्द बोलते हैं, तो दूसरों को सुख मिलता है और हमारा मन भी शांत रहता है।
उदाहरण: एक बार मैंने अपने दोस्त को गुस्से में कड़वी बात कह दी, तो वह उदास हो गया और मुझे भी बुरा लगा। लेकिन जब मैंने माफी माँगी और प्यार से बात की, तो हम दोनों खुश हुए। इससे मुझे समझ आया कि अच्छे शब्द सबके लिए अच्छे हैं।

(ङ) "जो जैसी संगति करै सो तैसा फल पाय ।।" हमारे विचारों और कार्यों पर संगति का क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर: संगति का हमारे विचारों और कामों पर बहुत असर पड़ता है। अच्छी संगति से अच्छे विचार आते हैं और बुरे लोग हमें गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं।
उदाहरण: मेरा एक दोस्त हमेशा किताबें पढ़ता था और मुझे भी पढ़ने की सलाह देता था। उसकी संगति से मैंने पढ़ाई में मेहनत शुरू की और मेरे नंबर अच्छे आए। लेकिन एक बार मैं कुछ आलसी बच्चों के साथ रहा, तो मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगा।

दोहों की रचना

"अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप। 
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।"
इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन दोनों पंक्तियों के दो-दो भाग दिखाई दे रहे हैं। इन चारों भागों का पहला शब्द है 'अति'। इस कारण इस दोहे में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न हो गया है। आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी कई विशेषताएँ दिखाई देंगी, जैसे- दोहों की प्रत्येक पंक्ति को बोलने में एक-समान समय लगता है। अपने-अपने समूह में मिलकर पाठ में दिए गए दोहों की विशेषताओं की सूची बनाइए।

(क) दोहों की उन पंक्तियों को चुनकर लिखिए जिनमें -

(1) एक ही अक्षर से प्रारंभ होने वाले (जैसे- राजा, रस्सी, रात) दो या दो से अधिक शब्द एक साथ आए हैं।
उत्तर: 
एक ही अक्षर से शुरू होने वाले शब्द:

  • “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।” (साँच और झूठ में 'स' और 'झ' अक्षर से शुरू।)
  • “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।” (साधू और सूप में 'स' अक्षर।)

(2) एक शब्द एक साथ दो बार आया है। (जैसे- बार-बार)
उत्तर:  
एक शब्द दो बार आया:

  • “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।” (बराबर दो बार।)
  • “अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।” (अति दो बार।)

(3) लगभग एक जैसे शब्द, जिनमें केवल एक मात्रा भर का अंतर है (जैसे- जल, जाल) एक ही पंक्ति में आए हैं।
उत्तर: 
लगभग एक जैसे शब्द (मात्रा का अंतर):

  • “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।” (साँच और झूठ में मात्रा का अंतर।)
  • “सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।” (सार और थोथा।)

(4) एक ही पंक्ति में विपरीतार्थक शब्दों (जैसे- अच्छा-बुरा) का प्रयोग किया गया है।
उत्तर: 
विपरीतार्थक शब्दों का प्रयोग:

  • “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।” (साँच और झूठ।)
  • “सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।” (सार और थोथा।)

(5) किसी की तुलना किसी अन्य से की गई है। (जैसे- दूध जैसा सफेद)
उत्तर: 
तुलना:

  • “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।” (साधु की तुलना सूप से।)
  • “कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।” (मन की तुलना पक्षी से।)

(6) किसी को कोई अन्य नाम दे दिया गया है। (जैसे- मुख चंद्र है)
उत्तर: 
कोई अन्य नाम देना:

  • “गुरु गोविंद दोऊ खड़े...” (भगवान को गोविंद नाम।)
  • “जाके हिरदे साँच है, ता हिरदे गुरु आप।” (ज्ञान को गुरु नाम।)

(7) किसी शब्द की वर्तनी थोड़ी अलग है। (जैसे- 'चुप' के स्थान पर 'चूप')
उत्तर: 
शब्द की वर्तनी में अंतर: “अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।” (‘चुप’ की जगह ‘चूप’।)

(8) उदाहरण द्वारा कही गई बात को समझाया गया है।
उत्तर: उदाहरण द्वारा समझाना:

  • “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।” (खजूर का पेड़ उदाहरण।)
  • “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।” (सूप का उदाहरण।)

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: इन विशेषताओं को अपने समूह में बनाई गई सूची के साथ कक्षा में साझा करें। सभी दोस्तों के साथ मिलकर इन दोहों की और विशेषताएँ ढूँढें और चर्चा करें कि ये दोहे हमें क्या सिखाते हैं।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय"

  • यदि आपके सामने यह स्थिति होती तो आप क्या निर्णय लेते और क्यों?

उत्तर: मैं पहले गुरु को प्रणाम करता क्योंकि गुरु ही हमें भगवान का रास्ता दिखाते हैं। बिना गुरु के हम भगवान को नहीं समझ सकते। गुरु का सम्मान करना इसलिए जरूरी है क्योंकि वे हमें सही मार्ग दिखाते हैं।

  • यदि संसार में कोई गुरु या शिक्षक न होता तो क्या होता?

उत्तर: अगर गुरु या शिक्षक न होते, तो हमें सही-गलत का ज्ञान नहीं मिलता। हम गलत रास्ते पर जा सकते थे और अच्छा जीवन जीने का तरीका नहीं सीख पाते। समाज में अज्ञान और भटकाव बढ़ जाता।

(ख) "अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।"

  • यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक बोलता है या बहुत चुप रहता है तो उसके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

उत्तर: बहुत ज्यादा बोलने वाला व्यक्ति दूसरों को परेशान कर सकता है और लोग उससे दूरी बना सकते हैं। बहुत चुप रहने वाला व्यक्ति अपनी बात नहीं कह पाता, जिससे उसकी जरूरतें या समस्याएँ छिपी रहती हैं। दोनों ही स्थिति में रिश्ते खराब हो सकते हैं और लोग गलत समझ सकते हैं।

  • यदि वर्षा आवश्यकता से अधिक या कम हो तो क्या परिणाम हो सकते हैं?

उत्तर: ज्यादा बारिश से बाढ़ आ सकती है, फसलें खराब हो सकती हैं और घर-मकान डूब सकते हैं। कम बारिश से सूखा पड़ सकता है, पानी की कमी हो सकती है और फसलें नहीं उग पातीं।

  • आवश्यकता से अधिक मोबाइल या मल्टीमीडिया का प्रयोग करने से क्या परिणाम हो सकते हैं?

उत्तर: ज्यादा मोबाइल या मल्टीमीडिया के इस्तेमाल से आँखें खराब हो सकती हैं, नींद कम हो सकती है, पढ़ाई और काम में ध्यान नहीं रहता, और परिवार-दोस्तों से दूरी बढ़ सकती है।

(ग) “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।"

  • झूठ बोलने पर आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

उत्तर: झूठ बोलने से लोगों का भरोसा टूटता है। दोस्त, परिवार या शिक्षक आप पर विश्वास नहीं करते। इससे रिश्ते खराब हो सकते हैं और मन में बेचैनी रहती है।

  • कल्पना कीजिए कि आपके शिक्षक ने आपके किसी गलत उत्तर के लिए अंक दे दिए हैं, ऐसी परिस्थिति में आप क्या करेंगे?

उत्तर: मैं शिक्षक को सच बताऊँगा कि मेरा उत्तर गलत था और अंक देना सही नहीं है। सच बोलने से मन शांत रहता है और शिक्षक का सम्मान बढ़ता है।

(घ) “ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।"

  • यदि सभी मनुष्य अपनी वाणी को मधुर और शांति देने वाली बना लें तो लोगों में क्या परिवर्तन आ सकते हैं?

उत्तर: अगर सब मधुर और शांतिपूर्ण बातें करें, तो लोगों में प्यार और विश्वास बढ़ेगा। झगड़े और गलतफहमियाँ कम होंगी। समाज में खुशी और एकता बढ़ेगी।

  • क्या कोई ऐसी परिस्थिति हो सकती है जहाँ कटु वचन बोलना आवश्यक हो? अनुमान लगाइए।

उत्तर: हाँ, कभी-कभी कटु वचन बोलना जरूरी हो सकता है, जैसे जब कोई गलत काम कर रहा हो और उसे रोकना हो। उदाहरण के लिए, अगर कोई दोस्त गलत रास्ते पर जा रहा हो, तो उसे सख्ती से समझाना पड़ सकता है।

(ङ) “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।"

  • यदि कोई व्यक्ति अपने बड़े होने का अहंकार रखता हो तो आप इस दोहे का उपयोग करते हुए उसे 'बड़े होने या संपन्न होने' का क्या अर्थ बताएँगे या समझाएँगे?

उत्तर: मैं कहूँगा कि बड़ा होना केवल ऊँचे पद या धन से नहीं होता। जैसे खजूर का पेड़ ऊँचा है पर किसी को छाया या फल नहीं देता, वैसे ही बड़ा इंसान वही है जो दूसरों की मदद करता है। बड़प्पन दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने में है, न कि घमंड करने में।

  • खजूर, नारियल आदि ऊँचे वृक्ष अनुपयोगी नहीं होते हैं। वे किस प्रकार से उपयोगी हो सकते हैं? बताइए।

उत्तर: खजूर और नारियल के पेड़ फल देते हैं, जैसे खजूर और नारियल, जो खाने में उपयोगी हैं। उनकी पत्तियाँ और लकड़ी घर बनाने, छप्पर बनाने और अन्य कामों में उपयोग होती हैं।

  • आप अपनी कक्षा का कक्षा नायक या नायिका (मॉनीटर) चुनने के लिए किसी विद्यार्थी की किन-किन विशेषताओं पर ध्यान देंगे?

उत्तर: मैं ऐसी विशेषताओं पर ध्यान दूँगा:

  • वह ईमानदार और जिम्मेदार हो।
  • सबके साथ अच्छा व्यवहार करे।
  • पढ़ाई में अच्छा हो और दूसरों की मदद करे।
  • अनुशासन बनाए रखे और सबको साथ लेकर चले।

(च) “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाया"

  • यदि कोई आपकी गलतियों को बताता रहे तो आपको उससे क्या लाभ होगा?

उत्तर: जो हमारी गलतियाँ बताता है, वह हमें सुधारने में मदद करता है। इससे हम अपनी कमियाँ जानकर बेहतर इंसान बन सकते हैं।

  • यदि समाज में कोई भी एक-दूसरे की गलतियाँ न बताए तो क्या होगा?

उत्तर: अगर कोई गलतियाँ न बताए, तो लोग अपनी कमियों को नहीं सुधार पाएँगे। इससे समाज में गलत काम बढ़ सकते हैं और लोग एक-दूसरे से सीख नहीं पाएँगे।

(छ) “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।"

  • कल्पना कीजिए कि आपके पास 'सूप' जैसी विशेषता है तो आपके जीवन में कौन-कौन से परिवर्तन आएँगे?

उत्तर: अगर मेरे पास सूप जैसी विशेषता होगी, तो मैं अच्छी बातें और गुण अपनाऊँगा और बुरी आदतें छोड़ दूँगा। मेरा स्वभाव शांत और अच्छा होगा, मैं दूसरों की मदद करूँगा और समाज में सम्मान पाऊँगा।

  • यदि हम बिना सोचे-समझे हर बात को स्वीकार कर लें तो उसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर: बिना सोचे-समझे हर बात मान लेने से हम गलत रास्ते पर जा सकते हैं। हमें धोखा मिल सकता है और हम गलत आदतें सीख सकते हैं।

(ज) "कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।"

  • यदि मन एक पंछी की तरह उड़ सकता तो आप उसे कहाँ ले जाना चाहते और क्यों?

उत्तर: मैं अपने मन को शांत और सुंदर जगह, जैसे पहाड़ों या नदियों के पास ले जाना चाहूँगा। वहाँ मेरा मन शांत होगा और अच्छे विचार आएँगे।

  • संगति का हमारे जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है?

उत्तर: अच्छी संगति से हमें अच्छे विचार, अच्छी आदतें और सफलता मिलती है। बुरी संगति से गलत रास्ते, बुरी आदतें और असफलता मिल सकती है।

वाद-विवाद

"अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप। 
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।"
कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

(क) इस दोहे का आज के समय में क्या महत्व है? इसके बारे में कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। एक समूह के साथी इसके पक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे और दूसरे समूह के साथी इसके विपक्ष में बोलेंगे। एक तीसरा समूह निर्णायक बन सकता है।
उत्तर: कबीर का यह दोहा आज के समय में भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें जीवन में संतुलन रखने की सीख देता है। आजकल लोग सोशल मीडिया, बातचीत, या काम में अक्सर हद से ज्यादा बोलते हैं या जरूरत से ज्यादा चुप रहते हैं। यह दोहा सिखाता है कि न तो बहुत ज्यादा बोलना अच्छा है, न ही बहुत चुप रहना। इसी तरह, प्रकृति में भी ज्यादा बारिश या धूप नुकसान करती है। आज के समय में यह हमें समय, शब्दों, और संसाधनों का सही इस्तेमाल करना सिखाता है ताकि हमारा जीवन और समाज बेहतर बने।
वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन:
1. गतिविधि का ढांचा:

  • पक्ष समूह: यह समूह इस बात का समर्थन करेगा कि वाणी, व्यवहार, और हर चीज में संतुलन जरूरी है, जैसा दोहे में कहा गया है।
  • विपक्ष समूह: यह समूह इस बात का समर्थन करेगा कि कुछ परिस्थितियों में ज्यादा बोलना या चुप रहना जरूरी हो सकता है।
  • निर्णायक समूह: यह समूह दोनों पक्षों के तर्क सुनकर यह तय करेगा कि कौन से तर्क ज्यादा सटीक और प्रभावी हैं।

2. वाद-विवाद के नियम:

  • प्रत्येक समूह को 5-7 मिनट का समय मिलेगा अपने तर्क प्रस्तुत करने के लिए।
  • दोनों समूह को अपने तर्क साधारण भाषा में और उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करने होंगे।
  • निर्णायक समूह निष्पक्ष होकर तर्कों की सटीकता, स्पष्टता, और प्रभाव को देखेगा।
  • सभी को एक-दूसरे की बात सम्मान के साथ सुननी होगी।

3. पक्ष के तर्क (दोहे का समर्थन):

  • वाणी में संतुलन जरूरी है: बहुत ज्यादा बोलने से लोग हमारी बात को गंभीरता से नहीं लेते। उदाहरण: सोशल मीडिया पर बेकार की बहस करने से लोग परेशान होते हैं।
  • चुप रहने की भी सीमा: जरूरी बातें न कहने से गलतफहमियाँ बढ़ती हैं। उदाहरण: अगर कोई गलत काम हो रहा हो और हम चुप रहें, तो वह और बढ़ सकता है।
  • प्रकृति में संतुलन: ज्यादा बारिश से बाढ़ और कम बारिश से सूखा पड़ता है। उसी तरह, जीवन में हर चीज में संतुलन जरूरी है।
  • आज के समय में प्रासंगिकता: आज लोग मोबाइल, टीवी, या काम में हद से ज्यादा समय बिताते हैं, जो उनकी सेहत और रिश्तों को नुकसान पहुँचाता है। संतुलन से ही खुशहाल जीवन संभव है।
  • मन की शांति: संतुलित बोलने और व्यवहार से मन शांत रहता है, और लोग हमारा सम्मान करते हैं।

4. विपक्ष के तर्क (दोहे से असहमति):

  • कभी ज्यादा बोलना जरूरी: कुछ स्थितियों में, जैसे किसी को समझाना हो या कोई गलत काम रोकना हो, तो ज्यादा बोलना पड़ सकता है। उदाहरण: एक शिक्षक को बच्चों को समझाने के लिए ज्यादा बोलना पड़ता है।
  • चुप रहना भी फायदेमंद: कई बार चुप रहने से विवाद टल जाते हैं। उदाहरण: अगर कोई गुस्से में बहस कर रहा हो, तो चुप रहना बेहतर होता है।
  • प्रकृति में अति की जरूरत: कुछ जगहों पर ज्यादा बारिश फसलों के लिए अच्छी होती है, जैसे धान की खेती में। ज्यादा धूप भी कुछ फसलों के लिए जरूरी होती है।
  • आज के समय में जरूरत: आज के डिजिटल युग में ज्यादा बोलना (जैसे मार्केटिंग या प्रचार) जरूरी है ताकि लोग आपकी बात सुनें।
  • स्थिति पर निर्भर: हर स्थिति में संतुलन संभव नहीं होता। कभी-कभी अति की जरूरत पड़ती है, जैसे आपातकाल में ज्यादा मेहनत करना।

5. निर्णायक समूह की भूमिका:

  • दोनों समूहों के तर्कों को ध्यान से सुनें।
  • तर्कों की स्पष्टता, उदाहरणों की प्रासंगिकता, और दोहे के संदेश से जुड़ाव का मूल्यांकन करें।
  • यह तय करें कि कौन सा समूह अपने विचारों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करता है और दोहे के महत्व को सही से समझाता है।
  • अंत में, एक संक्षिप्त टिप्पणी दें कि दोनों पक्षों में से कौन सा ज्यादा प्रभावी रहा और क्यों।

6. गतिविधि का संचालन:

  • तैयारी: शिक्षक या समूह लीडर दोहे को समझाए और वाद-विवाद का विषय बताए।
  • समूह विभाजन: कक्षा को तीन समूहों में बाँटें—पक्ष, विपक्ष, और निर्णायक।
  • चर्चा का समय: प्रत्येक समूह को 10 मिनट तैयारी के लिए दें, जिसमें वे अपने तर्क और उदाहरण लिख लें।
  • प्रस्तुति: पक्ष और विपक्ष बारी-बारी से अपने तर्क पेश करें। प्रत्येक समूह से 2-3 छात्र बोल सकते हैं।
  • निर्णायक की टिप्पणी: अंत में निर्णायक समूह अपना फैसला सुनाए और बताए कि कौन सा समूह बेहतर था।
  • निष्कर्ष: शिक्षक सभी को दोहे का महत्व समझाएँ और बताएँ कि संतुलन आज के जीवन में कैसे उपयोगी है।

7. अपेक्षित परिणाम:

  • छात्र दोहे के गहरे अर्थ को समझेंगे और इसे अपने जीवन में लागू करना सीखेंगे।
  • वाद-विवाद से उनकी सोचने, बोलने, और तर्क करने की क्षमता बढ़ेगी।
  • वे संतुलन के महत्व को समझेंगे, जैसे कि सोशल मीडिया, पढ़ाई, और रिश्तों में संयम रखना।

Note: इस गतिविधि को मज़ेदार बनाने के लिए शिक्षक कुछ मजेदार उदाहरण जोड़ सकते हैं, जैसे सोशल मीडिया पर ज्यादा पोस्ट करने या चुप रहने की कहानियाँ। इससे छात्र और रुचि लेंगे।


(ख) पक्ष और विपक्ष के समूह अपने-अपने मत के लिए तर्क प्रस्तुत करेंगे, जैसे-

  • पक्ष - वाणी पर संयम रखना आवश्यक है।
  • विपक्ष – अत्यधिक चुप रहना भी उचित नहीं है।

उत्तर: 
पक्ष (वाणी पर संयम रखना आवश्यक है):

  • बहुत ज्यादा बोलने से लोग परेशान हो सकते हैं और हमारी बात का महत्व कम हो जाता है।
  • संयम से बोली गई बातें दूसरों को प्रभावित करती हैं और सम्मान बढ़ता है।
  • उदाहरण: एक अच्छा वक्ता कम और सटीक बोलकर सबका ध्यान खींचता है।

विपक्ष (अत्यधिक चुप रहना भी उचित नहीं है):

  • जरूरी बातें न कहने से गलतफहमियाँ बढ़ती हैं और रिश्ते खराब हो सकते हैं।
  • चुप रहने से हमारी समस्याएँ या विचार छिपे रहते हैं, जिससे मौके खो सकते हैं।
  • उदाहरण: अगर कोई गलत काम हो रहा हो और हम चुप रहें, तो वह गलत काम बढ़ सकता है।

(ग) पक्ष और विपक्ष में प्रस्तुत तर्कों की सूची अपनी लेखन-पुस्तिका में लिख लीजिए।
​उत्तर: 
पक्ष:

  • ज्यादा बोलने से लोग हमारी बात को गंभीरता से नहीं लेते।
  • संयमित बोलने से हमारी बात का असर बढ़ता है।
  • कम बोलकर हम गलतियाँ करने से बच सकते हैं।

विपक्ष:

  • जरूरी बातें न कहने से लोग हमें समझ नहीं पाते।
  • चुप रहने से हमारी समस्याएँ अनसुलझी रह सकती हैं।
  • मौन रहने से गलत कामों को रोकने का मौका खो सकता है।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए स्थानों में कबीर से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए और अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए-

कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

उत्तर: 
कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

चर्चा का तरीका: इन शब्दों को अपने मित्रों के साथ साझा करें और चर्चा करें कि ये शब्द कबीर के जीवन और उनके दोहों से कैसे जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, पूछें कि "कवि" कैसे कबीर की रचनाओं को दर्शाता है या "सच्चाई" उनके संदेश का कितना महत्वपूर्ण हिस्सा है। साथ में मिलकर इन शब्दों के अर्थ और उपयोग के बारे में बात करें।

दोहे और कहावतें

"कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय। 
जो जैसी संगति करै, सो तैसा फल पाय।।"
इस दोहे को पढ़कर ऐसा लगता है कि यह बात तो हमने पहले भी अनेक बार सुनी है। यह दोहा इतना अधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय है कि इसकी दूसरी पंक्ति लोगों के बीच कहावत- 'जैसा संग वैसा रंग' (व्यक्ति जिस संगति में रहता है, वैसा ही उसका व्यवहार और स्वभाव बन जाता है।) की तरह प्रयुक्त होती है। कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। इसमें सामान्यतः जीवन के गहरे अनुभव को सरल और संक्षेप में बता दिया जाता है।

  • अब आप ऐसी अन्य कहावतों का प्रयोग करते हुए अपने मन से कुछ वाक्य बनाकर लिखिए।

उत्तर: अन्य कहावतों के साथ वाक्य:

  1. कहावत: "जैसी करनी, वैसी भरनी"
    • वाक्य: रमेश ने हमेशा मेहनत की, इसलिए उसे परीक्षा में अच्छे अंक मिले। जैसी करनी, वैसी भरनी।
  2. कहावत: "जल में रहकर मगर से बैर नहीं करते"
    • वाक्य: स्कूल में सबके साथ दोस्ती रखनी चाहिए, क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर नहीं करते।
  3. कहावत: "अंधे के आगे रोना, अपना दीया खोना"
    • वाक्य: राहुल को बार-बार समझाया, पर वह नहीं माना। यह तो अंधे के आगे रोना, अपना दीया खोना है।
  4. कहावत: "नीम हकीम, खतरा-ए-जान"
    • वाक्य: बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेना ठीक नहीं, क्योंकि नीम हकीम, खतरा-ए-जान।
  5. कहावत: "कर भला, हो भला"
    • वाक्य: दूसरों की मदद करने से हमारा भी भला होता है, क्योंकि कर भला, हो भला।

सबकी प्रस्तुति

पाठ के किसी एक दोहे को चुनकर अपने समूह के साथ मिलकर भिन्न-भिन्न प्रकार से कक्षा के सामने प्रस्तुत कीजिए। उदाहरण के लिए-

  • गायन करना, जैसे लोकगीत शैली में।
  • भाव-नृत्य प्रस्तुति ।
  • कविता पाठ करना।
  • संगीत के साथ प्रस्तुत करना।
  • अभिनय करना, जैसे एक दोस्त गुस्से में आकर कुछ गलत कह देता है लेकिन दूसरा दोस्त उसे समझाता है कि मधुर भाषा का कितना प्रभाव पड़ता है। (ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।)

कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

उत्तर: चुना गया दोहा: “ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय।।”
अर्थ: हमें ऐसी बातें बोलनी चाहिए जो घमंड रहित हों, दूसरों को शांति दें और हमें भी शांति मिले।

प्रस्तुति के तरीके:

  1. गायन (लोकगीत शैली में):
    • समूह के बच्चे इस दोहे को लोकगीत की धुन में गा सकते हैं। उदाहरण के लिए, ढोलक या मंजीरे के साथ इसे भक्ति भजन की तरह प्रस्तुत करें।
    • तैयारी: एक साधारण धुन बनाएँ, जैसे “राम भक्ति” वाले भजनों की तरह, और दोहे को बार-बार गाएँ।
  2. भाव-नृत्य प्रस्तुति:
    • कुछ बच्चे नृत्य के जरिए दोहे का भाव दिखा सकते हैं। जैसे, एक बच्चा गुस्से में कटु बातें बोलने का अभिनय करे, और दूसरा बच्चा मधुर बातें बोलकर उसे शांत करे।
    • तैयारी: नृत्य में हाथों और चेहरे के भावों से “शांति” और “घमंड खोने” का संदेश दिखाएँ।
  3. कविता पाठ:
    • बच्चे इस दोहे को कविता की तरह जोर-जोर से और भाव के साथ पढ़ें। हर पंक्ति के बाद इसका अर्थ समझाएँ।
    • तैयारी: दोहे को स्पष्ट और धीमे स्वर में पढ़ने की प्रैक्टिस करें, ताकि सभी समझ सकें।
  4. संगीत के साथ प्रस्तुति:
    • गिटार, हारमोनियम या कीबोर्ड के साथ दोहे को गीत की तरह प्रस्तुत करें।
    • तैयारी: एक साधारण संगीत बनाएँ और दोहे को गाने की रिहर्सल करें।
  5. अभिनय:
    • दृश्य: एक दोस्त (राहुल) गुस्से में अपने दोस्त (अनिल) से कड़वी बातें बोलता है। अनिल उसे शांत करता है और समझाता है कि मधुर बातों से सब ठीक हो सकता है।
    • संवाद:
      • राहुल (गुस्से में): “तू हमेशा गलत करता है, मुझे तुझसे बात नहीं करनी!”
      • अनिल (शांत स्वर में): “राहुल, गुस्से से कुछ नहीं होगा। ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय। शांत बातों से हम दोनों को सुकून मिलेगा।”
    • तैयारी: बच्चे किरदारों को बाँट लें और संवादों की रिहर्सल करें।

प्रस्तुति का आयोजन:

  • कक्षा को 4-5 समूहों में बाँटें, और प्रत्येक समूह को एक प्रस्तुति का तरीका चुनने दें।
  • हर समूह को 5-7 मिनट की प्रस्तुति के लिए समय दें।
  • शिक्षक बच्चों को प्रोत्साहित करें और अंत में प्रत्येक प्रस्तुति पर टिप्पणी करें कि दोहे का संदेश कितना अच्छे से समझाया गया।
  • बच्चों को बारी-बारी से प्रस्तुति देने का मौका दें ताकि सभी भाग लें।

Note: प्रस्तुति को मज़ेदार और रचनात्मक बनाएँ। बच्चों को रंग-बिरंगे कपड़े, प्रॉप्स (जैसे मंजीरे, ढोलक, या कागज से बनी चीजें) इस्तेमाल करने दें। इससे वे उत्साहित होंगे और दोहे का संदेश अच्छे से समझेंगे।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।" क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने आपको सही दिशा दिखाने में सहायता की हो? उस व्यक्ति के बारे में बताइए।
उत्तर: हाँ, मेरे जीवन में मेरे पिताजी ने मुझे सही दिशा दिखाई। जब मैं पढ़ाई में परेशानी में था, उन्होंने मुझे धैर्य रखने और मेहनत करने की सलाह दी। उनकी बातों से मुझे प्रेरणा मिली और मैंने अपनी मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए। वे मुझे हर कदम पर सही रास्ता दिखाते हैं, जैसे एक गुरु।

(ख) “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।" क्या कभी किसी ने आपकी कमियों या गलतियों के विषय में बताया है जिनमें आपको सुधार करने का अवसर मिला हो? उस अनुभव को साझा कीजिए।
उत्तर: हाँ, एक बार मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि मैं समय पर होमवर्क नहीं करता, जिससे मेरी आदत खराब हो रही थी। पहले मुझे बुरा लगा, लेकिन फिर मैंने सोचा और सुधार करने की कोशिश की। अब मैं समय पर काम करता हूँ और मेरी पढ़ाई में सुधार हुआ। उसकी सलाह ने मुझे बेहतर बनाया।

(ग) “कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।" क्या आपने कभी अनुभव किया है कि आपकी संगति (जैसे- मित्र) आपके विचारों और आदतों या व्यवहारों को प्रभावित करती है? अपने अनुभव साझा कीजिए।
उत्तर: हाँ, मेरे दोस्तों ने मेरे व्यवहार को प्रभावित किया। जब मैं उनके साथ पढ़ाई करने लगा, तो मेरी आदतें अच्छी हुईं। वे मेहनती थे, तो मैं भी मेहनत करने लगा। लेकिन एक बार गलत दोस्तों के साथ रहने से मैं समय बर्बाद करने लगा। इससे मुझे समझ आया कि संगति का असर बहुत होता है।

सृजन

(क) “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।" 
इस दोहे पर आधारित एक कहानी लिखिए जिसमें किसी व्यक्ति ने कठिन परिस्थितियों में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। (संकेत- किसी खेल में आपकी टीम द्वारा नियमों के उल्लंघन का आपके द्वारा विरोध किया जाना।)
उत्तर: कहानी: रमेश एक क्रिकेट टीम का हिस्सा था। एक दिन मैच में उनकी टीम हार के कगार पर थी। कप्तान ने कहा, “चलो, गेंद से छेड़छाड़ कर दें ताकि हम जीत जाएँ।” लेकिन रमेश ने मना कर दिया। उसने कहा, “नहीं, यह गलत है। सच बोलना और नियमों का पालन करना ही सही है।” टीम ने उसे डराया कि बिना इस चीज़ के वे हार जाएँगे, लेकिन रमेश डटा रहा। आखिर में टीम ने बिना धोखे खेला और हारी, पर रमेश को सुकून मिला। बाद में लोग उसकी ईमानदारी की तारीफ करने लगे और उसे सम्मान मिला। रमेश ने सीखा कि सत्य का साथ कभी व्यर्थ नहीं जाता।

(ख) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।" 
इस दोहे को ध्यान में रखते हुए अपने किसी प्रेरणादायक शिक्षक से साक्षात्कार कीजिए और उनके योगदान पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर: साक्षात्कार (काल्पनिक): मैंने अपने शिक्षक श्रीमान शर्मा से बात की। मैंने पूछा, “आपने हमें क्या सिखाया?” उन्होंने कहा, “मैंने तुम्हें मेहनत, ईमानदारी और सबके साथ मिलकर काम करना सिखाया।” मैंने पूछा, “आपके लिए सबसे बड़ी खुशी क्या है?” उन्होंने जवाब दिया, “जब मेरे छात्र सफल होते हैं और मेरा नाम लेते हैं।”
निबंध: मेरा प्रेरणादायक शिक्षक श्रीमान शर्मा हैं। वे हमें सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन के सबक भी सिखाते हैं। उन्होंने मुझे मेहनत और ईमानदारी का महत्व समझाया। जब मैं परीक्षा में फेल हुआ, तो उन्होंने मुझे हिम्मत दी और सही रास्ता दिखाया। उनके कारण मैंने मेहनत शुरू की और अच्छे अंक लाए। वे मेरे गुरु हैं, जो मुझे भगवान तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं। उनका योगदान मेरे जीवन का आधार है।

कबीर हमारे समय में

(क) कल्पना कीजिए कि कबीर आज के समय में आ गए हैं। वे आज किन-किन विषयों पर कविता लिख सकते हैं? उन विषयों की सूची बनाइए।
उत्तर: सूची:

  • सोशल मीडिया और झूठी तारीफ
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • मोबाइल और समय की बर्बादी
  • शिक्षा और ईमानदारी
  • एकता और भाईचारा

(ख) इन विषयों पर आप भी दो-दो पंक्तियाँ लिखिए।
​उत्तर: 

  1. सोशल मीडिया और झूठी तारीफ:
    • सोशल पर झूठी तारीफ का खेल, मन को भटकाए दिन रात।
    • सच का साथ छोड़ कर, बने मनुष्य पाखंडी रात।
  2. पर्यावरण प्रदूषण:
    • नदियाँ रोएं, हवा हो काली, प्रदूषण ने सब मारा।
    • पेड़ लगाओ, धरती बचाओ, जीवन बनाओ सुहाना।
  3. मोबाइल और समय की बर्बादी:
    • मोबाइल हाथ में, समय खो गया, जीवन हुआ सूना।
    • छोड़ो फोन, करो काम, जीवन बनेगा सुहाना।
  4. शिक्षा और ईमानदारी:
    • शिक्षा सिखाए सच का रास्ता, ईमान बने आधार।
    • झूठ छोड़ो, ज्ञान बढ़ाओ, जीवन हो सफल संसार।
  5. एकता और भाईचारा:
    • एकता में है शक्ति, भाईचारे से जीवन।
    • मिलकर रहें सब, दूर हो झगड़ा, बने समाज सुंदर गीत।

साइबर सुरक्षा और दोहे

नीचे दिए गए प्रश्नों पर कक्षा में विचार-विमर्श कीजिए और साझा कीजिए-

(क) “अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।" इंटरनेट पर अनावश्यक सूचनाएँ साझा करने के क्या-क्या संकट हो सकते हैं?
उत्तर: इंटरनेट पर ज्यादा बोलने या अनावश्यक सूचनाएँ साझा करने से कई संकट हो सकते हैं:

  • व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो सकती है, जैसे नाम, पता या फोटो।
  • गलत लोगों को यह जानकारी मिल सकती है, जो हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • झूठी खबरें फैलने से लोगों में भ्रम और डर फैल सकता है।
  • ऑनलाइन ठगी या हैकिंग का खतरा बढ़ जाता है।

चर्चा: कक्षा में पूछें कि क्या किसी ने कभी ज्यादा कुछ ऑनलाइन शेयर किया और क्या परेशानी हुई। सभी अपने विचार साझा करें।


(ख) “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।" किसी भी वेबसाइट, ईमेल या मीडिया पर उपलब्ध जानकारी को 'सूप' की तरह छानने की आवश्यकता क्यों है? कैसे तय करें कि कौन-सी सूचना उपयोगी है और कौन-सी हानिकारक?
उत्तर: 

  • आवश्यकता: इंटरनेट पर बहुत सी जानकारी होती है, जिसमें अच्छी और बुरी दोनों होती हैं। जैसे सूप अच्छे दाने और भूसी को अलग करता है, वैसे हमें सही जानकारी चुननी चाहिए। गलत जानकारी से धोखा, डर, या नुकसान हो सकता है।
  • कैसे तय करें:
    • स्रोत देखें: अगर वेबसाइट या खबर किसी विश्वसनीय जगह (जैसे सरकारी साइट) से है, तो वह सही हो सकती है।
    • तथ्य जांचें: अगर कोई बात कई जगह लिखी हो और सबूत हों, तो वह उपयोगी है।
    • शक हो तो टालें: अगर कोई ईमेल या लिंक संदिग्ध लगे, तो उसे न खोलें।
    • शिक्षक या माता-पिता से पूछें: अगर कुछ समझ न आए, तो बड़े लोगों से सलाह लें।

चर्चा: कक्षा में पूछें कि किसी ने कभी गलत जानकारी पर भरोसा किया या नहीं। सभी मिलकर साइबर सुरक्षा के नियम बनाएँ, जैसे क्या शेयर करना सुरक्षित है।

आज के समय में

नीचे कुछ घटनाएँ दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको कबीर के कौन-से दोहे याद आते हैं? घटनाओं के नीचे दिए गए रिक्त स्थान पर उन दोहों को लिखिए-
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खोजबीन के लिए

अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से कबीर के भजनों, गीतों, लोकगीतों को खोजिए और सुनिए। किसी एक गीत को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। कक्षा के सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए।
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप कबीर के बारे में और जान-समझ सकते हैं-

  • संत कबीर
    https://www.youtube.com/watch?v=FGMEpPJJQmk&t=2595&ab_ channel-NCERTOFFICIAL
  • कबीर वाणी
    https://www.youtube.com/watch?v=UNEIIugmwV0&t=13s&ab_ hannel-NCERTOFFICIAL
    https://www.youtube.com/watch?v=3QsynIvp62Y&t=8s&ab_ v = 3 t = 8 channel-NCERTOFFICIAL
    https://www.youtube.com/watch?v=UQA8DdnqiYg&t=11s&ab_ channel-NCERTOFFICIAL
    https://www.youtube.com/watch?v=JhWy6BYvosU&t=1555&ab_ channel-NCERTOFFICIAL
    https://www.youtube.com/watch?v=gnU7w-RHhyU&t=14s&ab_ t = 1 channel-NCERTOFFICIAL
  • कबीर की साखियाँ
    https://www.youtube.com/watch?v=ngF88zXnfQ0&ab_channel=NCERTOFFICIAL
  • दोहे कबीर, रहीम, तुलसी
    https://www.youtube.com/watch?v=cnrjLCkggr4&t=12s&ab_ t = 12 channel-NCERTOFFICIAT

कबीर के दोहे NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं खोजबीन करें या कक्षा में समझें।

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FAQs on कबीर के दोहे NCERT Solutions - Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

1. कबीर के दोहे क्या हैं और उनका महत्व क्या है?
Ans. कबीर के दोहे हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। ये सूफी संत कबीर द्वारा रचित काव्य हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्रेम, भक्ति, और समाज की सच्चाई को दर्शाते हैं। कबीर के दोहे सरल भाषा में गहरी बातें करते हैं, जिससे वे आम जनता के बीच लोकप्रिय हुए। उनका महत्व इस बात में है कि वे धार्मिक कट्टरता और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
2. कबीर के दोहे किस प्रकार के संदेश देते हैं?
Ans. कबीर के दोहे आमतौर पर मानवता, प्रेम, और सच्चाई के संदेश देते हैं। वे भक्ति और तात्त्विकता पर जोर देते हैं, और धार्मिक भेदभाव को नकारते हैं। कबीर का उद्देश्य लोगों को एकता और समानता की भावना से जोड़ना था। उनके दोहे जीवन के उतार-चढ़ाव में मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
3. कबीर के दोहे किस भाषा में लिखे गए हैं?
Ans. कबीर के दोहे मुख्यतः हिंदी भाषा में लिखे गए हैं, लेकिन इनमें लोक भाषा और अवधी का भी समावेश है। उनकी भाषा आम जनता के लिए सरल और समझने योग्य है, जिससे उनकी शिक्षाएँ सभी वर्गों में फैल गई हैं। कबीर की रचनाएँ न केवल हिंदी साहित्य में बल्कि भारतीय संस्कृति में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
4. कबीर के दोहे में कौन-कौन से प्रमुख विषय शामिल हैं?
Ans. कबीर के दोहे में प्रेम, भक्ति, सत्य, और समाजिक समानता जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं। वे आध्यात्मिकता की गहराई, जीवन की अस्थिरता, और मानवता के मूल्यों को उजागर करते हैं। कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से लोगों को आत्मा की खोज और ईश्वर की सच्चाई के प्रति जागरूक किया।
5. कबीर के दोहे की विशेषताएँ क्या हैं?
Ans. कबीर के दोहे की विशेषताएँ उनकी सरलता, गहराई, और सामयिकता हैं। ये दोहे छोटे, चतुर और प्रभावशाली होते हैं। कबीर ने अपने दोहों में बिंब और प्रतीकों का उपयोग किया है, जिससे वे अधिक प्रभावी बनते हैं। इसके अलावा, उनके दोहे में मानवता के प्रति संवेदनशीलता और सच्चाई की खोज का संदेश स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है।
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