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सुंदरिया Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT PDF Download

कहानी का परिचय

यह कहानी प्रसिद्ध लेखक जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखी गई है। इसमें हरियाणा के एक गरीब किसान हीरासिंह और उसकी प्यारी गाय सुंदरिया की कहानी है। हीरासिंह अपनी गाय का चारा ठीक से नहीं जुटा पाता था, इसलिए वह नौकरी की तलाश में दिल्ली जाकर एक सेठ के यहाँ चौकीदार बन गया। सेठ को अच्छी गाय चाहिए थी, तो हीरासिंह ने अपनी ही गाय सुंदरिया बेच दी, यह सोचकर कि वह उसके सामने ही रहेगी। लेकिन सुंदरिया अपने मालिक के बिना ज्यादा दूध नहीं देती थी। यह बात सेठ को पसंद नहीं आई और उसने गाय वापस ले जाने को कहा। आखिर में हीरासिंह ने तय किया कि वह गाय को अपने गाँव ले जाएगा और सेठ के पैसे धीरे-धीरे चुका देगा। यह कहानी मनुष्य और जानवर के गहरे प्रेम और वफ़ादारी को दर्शाती है।

सुंदरिया Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

मुख्य विषय

यह कहानी एक गरीब किसान हीरासिंह और उसकी प्यारी गाय सुंदरिया के गहरे लगाव की है। हीरासिंह उसे अपने परिवार का हिस्सा मानता था, लेकिन मजबूरी में उसने उसे बेच दिया। गाय भी अपने मालिक से बहुत प्यार करती थी, इसलिए उसके बिना खुश नहीं रही और पूरा दूध नहीं देती थी। आखिरकार हीरासिंह ने उसे वापस गाँव ले जाने का फैसला किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि जानवर भी प्यार और अपनापन समझते हैं, और पैसा कभी भी सच्चे रिश्तों से बड़ा नहीं होता।

कहानी का सार

कहानी की शुरुआत

हरियाणा के एक गाँव में हीरासिंह नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके पास एक प्यारी गाय थी, जिसका नाम सुंदरिया था। सुंदरिया बहुत सुंदर और स्वस्थ गाय थी। लोग उसे देखकर जलन महसूस करते थे। लेकिन हीरासिंह इतना गरीब था कि वह अपने परिवार और सुंदरिया के लिए खाना-चारा भी ठीक से नहीं जुटा पाता था।

हीरासिंह की परेशानी

हीरासिंह को समझ नहीं आता था कि वह अपने बीवी-बच्चों और सुंदरिया की देखभाल कैसे करे। गरीबी के कारण वह सुंदरिया के लिए चारा नहीं खरीद पाता था। खाने की कमी होने लगी तो उसने सोचा कि सुंदरिया को बेच दे। लेकिन उसका बड़ा बेटा जवाहरसिंह सुंदरिया को "मौसी" कहता था और उससे बहुत प्यार करता था। इसलिए हीरासिंह को डर था कि अगर उसने सुंदरिया को बेचा तो जवाहरसिंह बहुत दुखी होगा।

दिल्ली में नौकरी

पैसे कमाने के लिए हीरासिंह दिल्ली चला गया। वहाँ उसे एक सेठ के यहाँ चौकीदार की नौकरी मिल गई। एक दिन सेठ ने हीरासिंह से कहा, "तुम हरियाणा से हो, वहाँ की गायें बहुत अच्छी होती हैं। मेरे लिए एक अच्छी गाय लाओ।"
हीरासिंह ने तुरंत अपनी सुंदरिया की याद की। उसने सेठ से कहा कि उसे एक गाय के बारे में पता है। सेठ ने पूछा, "वह गाय कैसी है?" हीरासिंह ने सुंदरिया की तारीफ की और कहा, "वह गाय बहुत अच्छी है। वह पंद्रह सेर दूध देती है। मैंने उसकी देखभाल में दो सौ रुपये खर्च किए हैं।"

सुंदरिया Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

सेठ का प्रस्ताव

सेठ ने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें दो सौ रुपये से ज्यादा यानी दो सौ पाँच रुपये दूँगा।" तब हीरासिंह ने सच बताया कि वह गाय उसकी अपनी है, यानी सुंदरिया। सेठ बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत सौ रुपये हीरासिंह को दे दिए। उसने कहा, "जाओ, गाय को जल्दी लाओ। ज्यादा देर मत करना।" हीरासिंह ने कहा कि उसे गाय लाने में पाँच दिन लगेंगे।

सुंदरिया Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

सुंदरिया को लाना

हीरासिंह गाँव गया और जवाहरसिंह को समझाकर सुंदरिया को दिल्ली ले आया। सेठ ने सुंदरिया को देखा तो बहुत खुश हुआ क्योंकि वह सचमुच बहुत सुंदर और स्वस्थ थी। हीरासिंह ने खुद सुंदरिया को चारा-पानी दिया, उसे प्यार किया और दूध निकाला। सुंदरिया ने पंद्रह सेर से भी ज्यादा दूध दिया। सेठ इतना खुश हुआ कि उसने दो सौ रुपये के अलावा सात रुपये और दे दिए।

सुंदरिया का दुख

सेठ ने सुंदरिया को अपने घोसी (गायों की देखभाल करने वाले) को सौंप दिया। लेकिन सुंदरिया घोसी के साथ जाना नहीं चाहती थी। हीरासिंह का दिल भारी हो गया। उसने सेठ से कहा, "मुझे सुंदरिया की देखभाल करने का काम दे दीजिए, चाहे मेरी तनख्वाह कम कर दीजिए।" सेठ ने कहा, "तुम बहुत ईमानदार चौकीदार हो। मैं तुम्हारी तनख्वाह और बढ़ा सकता हूँ, लेकिन तुम्हें चौकीदार का काम ही करना होगा।"
हीरासिंह ने सुंदरिया को प्यार से थपथपाया और कहा, "जा सुंदरिया, जा।" सुंदरिया ने उसकी ओर देखा, जैसे पूछ रही हो, "क्या मुझे सचमुच जाना है?" फिर वह घोसी के पीछे चली गई। हीरासिंह उसे जाते हुए देखता रहा।

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दूध की समस्या

अगले दिन सेठ ने हीरासिंह को बुलाकर कहा, "तुमने मुझे धोखा दिया। सुंदरिया ने सुबह सिर्फ पाँच सेर दूध दिया।" हीरासिंह ने कहा, "मैंने तो खुद पंद्रह सेर से ज्यादा दूध निकाला था।" सेठ ने कहा, "जाओ, गाय को देखो।"
हीरासिंह सुंदरिया के पास गया और प्यार से बोला, "सुंदरिया, मेरी बदनामी क्यों कर रही है?" सुंदरिया ने उसकी ओर देखा, जैसे कह रही हो, "बताओ, मुझे क्या करना है?" हीरासिंह ने घोसी से बाल्टी लाने को कहा। घोसी ने कहा कि वह पहले ही दूध निकाल चुका है। लेकिन हीरासिंह ने फिर दूध निकाला और इस बार साढ़े तेरह सेर दूध निकला। उसने दूध घोसी को दे दिया और सुंदरिया से कहा, "मेरी इज्जत रखना, सुंदरिया।"

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फिर वही समस्या

अगले दिन फिर वही हुआ। सुंदरिया ने पूरा दूध नहीं दिया। सेठ ने हीरासिंह को बुलाकर कहा, "यह क्या है? तुमने मुझे धोखा दिया।" सेठ ने कहा, "अगर ऐसा ही है तो अपनी गाय ले जाओ और मेरे रुपये वापस करो।" लेकिन हीरासिंह ने रुपये गाँव भेज दिए थे और उनमें से ज्यादातर रुपये मकान की मरम्मत में खर्च हो गए थे।
सेठ ने कहा, "ठीक है, तुम्हारी तनख्वाह से रुपये कटते रहेंगे। जब सारे रुपये चुक जाएँ, तब गाय ले जाना।"

सुंदरिया का विद्रोह

अगले दिन सुंदरिया ने और गड़बड़ की। उसने दूध देने से पूरी तरह मना कर दिया और रात को सारा दूध ड्योढ़ी (आँगन) में बिखेर दिया। सेठ ने हीरासिंह से पूछा, "यह क्या बात है?" हीरासिंह ने कहा, "शायद गाय रात को खुल गई और ड्योढ़ी में आकर दूध गिरा दिया।"
घोसी ने कहा कि उसने गाय को रात में खूँटे से बाँधा था। लेकिन हीरासिंह को यकीन था कि सुंदरिया ने ऐसा किया। सेठ ने कहा, "ऐसी बातें मत बनाओ। जाओ, पता करो कि यह किसने किया।"

हीरासिंह का दुख

हीरासिंह अपनी कोठरी में जाकर लेट गया। उसे बहुत दुख हो रहा था। रात को उसे लगा कि दरवाजे से कोई आवाज आई। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि सुंदरिया खड़ी है। वह उसे ऐसी आँखों से देख रही थी, जैसे माफी माँग रही हो। मानो कह रही हो, "मैंने गलती की, मुझे माफ कर दो। मैं बहुत दुखी हूँ।" हीरासिंह का दिल भर आया। वह सुंदरिया की गर्दन से लिपटकर रोने लगा।

हीरासिंह का फैसला

अगले दिन हीरासिंह ने सेठ से कहा, "आप जितने महीने चाहें, मुझसे सख्त मेहनत करवाएँ। लेकिन सुंदरिया को मैं आज ही गाँव वापस ले जाऊँगा। जब आपके रुपये चुक जाएँ, मुझे बता दीजिए। फिर मैं भी नौकरी छोड़ दूँगा।" सेठ कुछ कह पाता, इससे पहले ही हीरासिंह सुंदरिया को लेकर गाँव चला गया।

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कहानी का अंत

इस तरह, हीरासिंह ने सुंदरिया को बेचने का फैसला छोड़ दिया। वह समझ गया कि सुंदरिया उसके परिवार का हिस्सा है और उसे पैसे के लिए नहीं बेचा जा सकता। सुंदरिया भी हीरासिंह से बहुत प्यार करती थी और उसके बिना दूध नहीं देती थी। यह कहानी बताती है कि प्यार और विश्वास पैसे से ज्यादा कीमती होते हैं।

कहानी की मुख्य बातें

  • हीरासिंह हरियाणा के एक गाँव का गरीब किसान था।
  • उसके पास सुंदरिया नाम की एक बड़ी और सुंदर गाय थी, जिसे उसका बेटा मौसी कहता था।
  • गरीबी के कारण हीरासिंह गाय का चारा भी ठीक से नहीं जुटा पाता था।
  • वह नौकरी की तलाश में दिल्ली जाकर एक सेठ के यहाँ चौकीदार बन गया।
  • सेठ को अच्छी गाय चाहिए थी, तो हीरासिंह ने अपनी ही गाय सुंदरिया बेचने का सोचा।
  • उसने सोचा कि गाय बेचकर भी वह उसे अपनी आँखों के सामने देख सकेगा।
  • हीरासिंह गाँव से सुंदरिया लाया और सेठ को दे दी।
  • पहले दिन गाय ने खूब दूध दिया, लेकिन दूसरे दिन से उसने कम दूध देना शुरू कर दिया।
  • असल में गाय अपने मालिक हीरासिंह से दूर होकर ठीक से दूध नहीं दे पा रही थी।
  • सेठ नाराज़ हो गए और बोले – गाय वापस ले जाओ और पैसे लौटा दो।
  • पैसे तो हीरासिंह ने गाँव में खर्च कर दिए थे, इसलिए उसने कहा कि तनख्वाह में से पैसे कट जाएँगे।
  • एक दिन गाय रात को छूटकर ड्योढ़ी में आई और हीरासिंह के पास खड़ी रही, जैसे माफी माँग रही हो।
  • हीरासिंह गाय को देखकर रो पड़ा और उसे गले से लगा लिया।
  • अगले दिन उसने सेठ से कहा कि वह गाय को गाँव वापस ले जाएगा, चाहे जितना समय लग जाए पैसे चुकाने में।
  • वह उसी दिन सुंदरिया को लेकर गाँव लौट गया।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जानवर भी हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं और हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए। पैसा ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी नहीं है, कभी-कभी प्यार और अपनापन पैसों से ज़्यादा कीमती होता है। हमें हमेशा ईमानदारी और सच्चाई से काम लेना चाहिए, जैसे हीरासिंह ने सच बताया कि गाय उसकी अपनी है। जब किसी को ज़बरदस्ती अलग किया जाता है, तो वह खुश नहीं रह सकता, जैसे सुंदरिया अपने मालिक से दूर होकर ठीक से दूध नहीं देती थी। इसलिए हमें अपनी प्रिय चीज़ों और जीवों को संभालकर रखना चाहिए और उन्हें छोड़ना नहीं चाहिए।

शब्दार्थ

  • डील-डौल: शरीर की बनावट
  • ईर्ष्या: जलन, द्वेष की भावना
  • चारा: पशुओं के खाने की घास या भोजन
  • मौसी: माँ की बहन (यहाँ प्रेम से दी गई उपमा)
  • बंदोबस्त: प्रबंध, व्यवस्था
  • कामधेनु: पौराणिक गाय, जो इच्छानुसार दूध और संपत्ति देती है
  • सेर: पुराना भार माप (लगभग 1 किलोग्राम के बराबर)
  • सानी-पानी देना: पशु को चारा और पानी देना
  • दुहना: गाय, भैंस आदि का दूध निकालना
  • सिपुर्द: सौंपना, हवाले करना
  • जी भरा आना: भावुक हो जाना, आँखों में आँसू आ जाना
  • पुचकारना: प्यार से सहलाना या दुलारना
  • रुसवाई: बदनामी, अपमान
  • ओछा करानाअपमानित करना
  • मसनूई: बनावटी, झूठा
  • करतूत: बुरा काम, शरारत
  • लुढ़क जाना: थककर या उदासी में लेट जाना
  • विह्वल: भावुक होकर व्याकुल हो जाना
  • अपराधिनी: अपराध करने वाली (स्त्रीलिंग)
  • चाकरी: नौकरी, सेवा
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FAQs on सुंदरिया Chapter Notes - Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

1. "सुंदरिया" कहानी का मुख्य विषय क्या है?
Ans."सुंदरिया" कहानी का मुख्य विषय अद्भुतता और सुंदरता का सम्मान करना है। इसमें यह दर्शाया गया है कि प्राकृतिक सुंदरता और सरलता में कितनी शक्ति होती है।
2. "सुंदरिया" कहानी का सार क्या है?
Ans."सुंदरिया" कहानी एक सुंदर और साधारण लड़की के बारे में है, जो अपनी सुंदरता के कारण समाज में अलग पहचान बनाती है। कहानी में उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है, जैसे कि आत्म-सम्मान, प्यार और समाज में स्थान।
3. इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
Ans.इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि असली सुंदरता बाहरी रूप में नहीं, बल्कि व्यक्ति के आचरण और उसके दिल में होती है। हमें अपनी आंतरिक सुंदरता को पहचानने और उसे विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
4. "सुंदरिया" कहानी की मुख्य बातें कौन सी हैं?
Ans."सुंदरिया" कहानी की मुख्य बातें हैं: 1) सुंदरता का आंतरिक महत्व, 2) समाज की धारणा और उसके प्रभाव, 3) आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान, और 4) प्रेम और संबंधों का मूल्य।
5. "सुंदरिया" कहानी में कौन से पात्र हैं और उनकी भूमिका क्या है?
Ans."सुंदरिया" कहानी में मुख्य पात्र सुंदरिया हैं, जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं। अन्य पात्रों में उनके परिवार के सदस्य और मित्र शामिल हैं, जो कहानी में उनके साथ अनुभव साझा करते हैं और उनके जीवन को प्रभावित करते हैं।
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